Dhumavati Jayanti 2020: सुहागन महिलाएं न करें मां धूमावती की पूजा !

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 May, 2020 07:31 AM

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मां धूमावती जयंती का पर्व हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है | धूमावती माता को 10 महाविद्याओं में सातवीं विद्या माना जाता है | सातवीं विद्या दारुण विद्या कहलाती है |

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Maa Dhumavati Jayanti: मां धूमावती जयंती का पर्व हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है | धूमावती माता को 10 महाविद्याओं में सातवीं विद्या माना जाता है | सातवीं विद्या दारुण विद्या कहलाती है | श्राप देकर नष्ट करना व संहार करने की जितनी भी क्षमताएं हैं, वो मां धूमावती देवी के कारण ही हैं | क्रोधमय ऋषियों की मूल शक्ति धूमावती माता हैं जैसे अंगीरा, दुर्वासा, परशुराम,  भृगु आदि।

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बहुत सारी पुराणिक कथाओं में से एक कथा के अनुसार, एक बार मां पार्वती को बहुत तेज़ भूख लगी, उस समय कैलाश पर्वत पर खाने को कुछ नहीं था | उन्होंने भोजन की मांग भगवान शिव से की लेकिन भोले बाबा समाधि में लीन थे | बार-बार खाने की मांग करने पर भी भोलेनाथ नीलकंठ ने कोई जवाब नहीं दिया | भूख की तीव्रता से बैचेन हो कर गुस्से में माता पार्वती, भगवान शिव को ही निगल गयी | शिव भगवान के गले में विष होने की वजह से माता के शरीर से धुंआ निकलने लगा | इसी कारण माता पार्वती का नाम “धूमावती” पड़ा | भगवान शिव माया के द्वारा माता पार्वती के शरीर से बहार आ जाते हैं |

माता का यह स्वरूप देख कर भगवान शिव कहते हैं देवी, अब से आप के इस रूप की भी पूजा होगी | तब से माता विधवा स्वरूप, श्वेत वस्त्र धारण किए हुए खुले केश रूप में पूजी जाती है | उनका वाहन कौवा है |

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माता धूमावती शत्रुओं से रक्षा करती हैं और शत्रु साधक का कुछ नहीं बिगाड़ पाते हैं | मां अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेती हैं | लेकिन यह भी मान्यता है कि सुहागन स्त्री को माता धूमावती की पूजा नहीं करनी चाहिए बस दूर से ही दर्शन करने चाहिए |

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करके जल, पुष्प, सिन्दूर, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, दीप तथा नैवैद्य आदि से मां की पूजा करनी चाहिए। इस दिन देवी को काले कपड़े में बंधा हुआ तिल समर्पित किया जाता है | ऐसी मान्यता है कि अगर काले तिल के बीज को माता को चढ़ाया जाए तो भक्त की जो भी मनोकामना होती है, वह पूरी होती है | फिर माता की कथा का श्रवण करना चाहिए |

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पूजा के पश्चात अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मां से प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए क्योंकि मां धूमावती की कृपा से मनुष्‍य के समस्त पापों का नाश होता है तथा दु:ख, दारिद्रय आदि दूर होकर मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

माता की विशेष कृपा पाने के लिए " ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।।  धूं धूं धूमावती ठ: ठ: मंत्रो का रुद्राक्ष माला से 108, 51 या 21 माला का जाप करना चाहिए।

आचार्य लोकेश धमीजा
वेबसाइट - www.goas.org.in

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