Edited By Jyoti,Updated: 25 Jun, 2020 02:12 PM
जब किसी के जीवन में वास्तु दोष पैदा होता है तो उसके जीवन में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती हैं।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जब किसी के जीवन में वास्तु दोष पैदा होता है तो उसके जीवन में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती हैं। मगर बहुत कम लोग हैं जो समझ पाते हैं कि ये परेशानियां असल में घर आदि में पैदा हो चुके वास्तु दोष का संकेत देती हैं। अब जाहिर सी बात है जब किसी को यही नहीं पता होगा कि लाइफ में मुसीबतें कहां से आ रही हैं तो उसके ठीक कैसे किया जाएगा। आज हम आपको इसी बारे में बताने वाले हैं कि कौन सी बीमारियों घर में वास्तु दोष के पैदा होने के संकेत देती हैं। दरअसल वास्तु शास्त्र में बताया गया किन हालातों में घर के लोग किसी न किसी रोग से पीड़ित होते हैं। आइए विस्तारपूर्वक जानते हैं इस बारे में-
वास्तु के मुताबिक जिस व्यक्ति का घर सड़क के अंत में हो उसमें रहने वाले सदस्य अक्सर किसी न किसी कष्ट में ही रहते हैं। इसके अलावा अगर मकान पर किसी वृक्ष, मंदिर आदि की छाया पड़ती हो तो भी परिवार के लोग किसी न किसी रोग से ग्रस्ति ही रहते हैं। इसलिए वास्तु विशेषज्ञ ये हिदायत देते हैं कि घर के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में रोज़ाना लाल रंग की मोमबत्ती जलाएं, इससे घर के सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक होता है।
जिस घर में रसोई घर आग्नेय कोण में स्थित नहीं होता वहां घर के मुख्य सदस्य अर्थात कमाने वाले सदस्य बीमार रहते हैं। इसलिए हर किसी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमेशा रसोई आग्नेय कोण में ही बनवाएं। इसके अलावा अगर घर के रोगियों को ठीक करने के लिए कुछ दिनों तक अपने घर में मोमबत्तियां जलाएं, कुछ ही दिनों में आपको इसका शुभ परिणाम दिखने लगेगा।
अगर वास्तु शास्त्र की मानें तो कुछ हालातों में घर में दो वास्तु दोष हो जाते हैं जिससे ये कयास लगाया जाता है कि इससे परिवार का कोई सदस्य कैंसर की बीमारी से पीड़ित हो सकता है। बता दें इन दो वास्तुदोष में से एक वास्तुदोष घर के ईशान कोण के भाग में होता है। अगर घर का ईशान कोण गोल, कटा हुआ, दबा हुआ या घर का जरूरत से ज्यादा बढ़ा हो तो ये एक वास्तु दोष माना जाता है। इसके अलावा ये दोष तब भी उत्पन्न होता है जब घर की अन्य दिशाओं की तुलना में ईशान कोण ऊंचा होता है।
दूसरा वास्तुदोष घर के दक्षिण पश्चिम दिशा या आग्नेय, वायव्य और नैऋत्य कोण में पैदा होता है। इससे शरीर के किसी हिस्से के कैंसर से जकड़े जाने का खतरा होता है।