Edited By Jyoti,Updated: 29 Oct, 2019 02:30 PM
अक्सर आप लोगों ने सुना होगा कि हिंदू धर्म की पूजन-अर्चन करते समय कुछ सावधानियां रखी जाती हैं। परंतु ये सावधानियां क्या हैं व इनका ख्याल क्यों व कैसे रखना चाहिए। इस बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अक्सर आप लोगों ने सुना होगा कि हिंदू धर्म की पूजन-अर्चन करते समय कुछ सावधानियां रखी जाती हैं। परंतु ये सावधानियां क्या हैं व इनका ख्याल क्यों व कैसे रखना चाहिए। इस बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है। दरअसल इसका कारण भी व्यक्ति ही है। क्योंकि आज कल लोगों को अपने शास्त्रों में लिखी बातें जानने में कोई खासा दिलचस्पी नहीं रही। तो अब ज़ाहिर सी बात है अगर हमें शास्त्रों में लिखी बातों के बारे में जानकारी ही नहीं होगी तो हमारे द्वारा किया किसी प्रकार का धार्मिक कार्य ठीक विधि से संपन्न नहीं हो सकता और अगर वो संपन्न हो भी जाता तो उसका शुभ फल प्राप्त नहीं होता। तो सवाल ये आता है कि ऐसे हालातों में इंसान को क्या करना चाहिए। क्योंकि आप में ज्यादा से लोग यही सोच रहे होंगे कि आज कल के भागदौड़ भरे जीवन में इतना समय किस के पास है कि वो ग्रंथों आदि को पढ़ सके। तो घबराइए मत क्योंकि हम आपके इस परेशानी का हल अपने इस आर्टकिल में लाएं हैं।
आप में से लगभग लोग सुबह उठकर पूजा-अर्चना करते होंगे क्योंकि हिंदू धर्म में सुबह व शाम दोनों समय की पूजा करना आवश्यक माना जाता है। परंतु आप में से आधे से ज्यादा लोग ऐसे होंगे जो देवी-देवताओं की पूजा तो करते होंगे परंतु इस दौरान ऐसी गलतियां करते होंगे जिसके बारे में उन्हें पता भी नहीं होगा। जिस प्रक्रिया में देवी-देवता की पूजा करते समय उन्हें भोग लगाना सबसे आवश्यक होता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जातक द्वारा श्रद्धा पूर्वक लगाया गया भोग व प्रसाद को भगवान सूक्षम रूर में ग्रहण करते हैं। परंतु इस दौरान कुछ खास नियमों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है वो क्या है आइए जानते हैं क्या है वो नियम-
प्रसाद में कभी न करें इसका प्रयोग-
हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को भेंट किए जाने वाले प्रसाद में कभी तेल और मिर्च का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके विपरीत इसमें घी या रिफाइन का प्रयोग किया जाना चाहिए। शास्त्रों में कटु और तीखी चीज़ों को राजसी भोजन माना गया है, जबकि भगवान को सात्विक भोजन देने का विधान है। इसलिए इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
इसके बिना अधूरा माना जाता है भोग-
भगवान को किसी भी व्यंजन का भोग लगाने से पहले उसमें एक तुलसी का पत्ता ज़रूर रख दें। माना जाता है भगवान बिना तुलसी के प्रसाद स्वीकार नही करते खासतौर पर भगवान विष्णु। ध्यान रहे भगवान शंकर व उनके पुत्र गणेश जी की पूजा में कभी तुलसी का प्रयोग न करें। भोलेनाथ के पूजन में बेलपत्र व गणेश जी की अर्चना में दूर्वा का इस्तेमाल करें।
भोग लगाने के बाद तुरंत न हटाएं प्रसाद-
कुछ लोग भगवान को भोग अर्पित करने के बाद तुरंत भोजन उनके समक्ष से उसे उठा भी लेते हैं। शास्त्रों के मुताबिक इसे ठीक नहीं माना जाता। बल्कि कुछ समय खुद भगवान के सामने से हट जाना चाहिए। इसके बाद प्रसाद को श्रद्धा पूर्वक भगवान को प्रणाम करके वहां से उठाना चाहिए।
प्रसाद ग्रहण करने से पहले जाने लें ये-
ध्यान रहे भगवान को पका हुआ भोजन अर्पित करना हो तो पूजा के पश्चात प्रसाद से कुछ हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं और फिर ही स्वयं प्रसाद ग्रहण करें।