Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Jun, 2018 05:43 PM
22 जून, शुक्रवार को महेश नवमी का शुभ दिन है। माहेश्वरी समाज का प्रागट्य भगवान महेश यानि भोलेनाथ के आशीर्वाद से हुआ है। भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि इनकी पूजा-आराधना में कर्मकांड की उतनी आवश्यकता नहीं, फिर भी कर्मकांड का अपना महत्व है जो अपना...
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22 जून, शुक्रवार को महेश नवमी का शुभ दिन है। माहेश्वरी समाज का प्रागट्य भगवान महेश यानि भोलेनाथ के आशीर्वाद से हुआ है। भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि इनकी पूजा-आराधना में कर्मकांड की उतनी आवश्यकता नहीं, फिर भी कर्मकांड का अपना महत्व है जो अपना फल देता है।
इस दिन भगवान महेश का लिंग रूप में विशेष पूजन करने से व्यापार में उन्नति होती है। इस दिन विधान पूर्वक भगवान महेश पर पृथ्वी के रूप में रोट चढ़ाया जाता है। शिवलिंग पर भस्म से त्रिपुंड लगाया जाता है जो त्याग व वैराग्य का सूचक है। इस दिन विशेषकर भगवान महेश के विविध तापों को नष्ट करने वाले त्रिशूल का विशिष्ट पूजन किया जाता है। शिव पूजन में डमरू बजाए जाते हैं। शिव का डमरू जनमानस की जागृति का प्रतीक है। महेश नवमी पर भगवान महेश की विशेषकर कमल के पुष्पों से पूजा कि जाती है। कमल कीचड़ में खिलता है, जल में रहता है, परंतु किसी में भी लिप्त नहीं होता है।
महेश नवमी पर भगवान महेश के इस मंत्र से व्यापार में होगा मुनाफा अपार
अर्थितव्यः सदाचारः सर्वशंभुमहेश्वरः। ईश्वरः स्थाणुरीशानः सहस्त्राक्ष सहस्त्रपात्॥
नोट: यह मंत्र लिंग पुराण के अंतर्गत शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत्र से लिया गया है। यह मंत्र भगवान विष्णु का उवाच है।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com
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