Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Oct, 2017 12:50 PM
भगवान श्रीगणेश मंगलकारी देवता हैं। जहां श्रीगणेश का नित पूजन-अर्चन होता है, वहां रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ का वास होता है। वास्तु शास्त्र में भगवान श्रीगणेश को महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया गया है।
भगवान श्रीगणेश मंगलकारी देवता हैं। जहां श्रीगणेश का नित पूजन-अर्चन होता है, वहां रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ का वास होता है। वास्तु शास्त्र में भगवान श्रीगणेश को महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया गया है। धन से संबंधित जो भी बाधाएं आती हैं उसका दोष घर अथवा दुकान में ही मौजूद होता है। बहुत कुछ ऐसा होता है जिनकी अनजाने में अनदेखी हो जाती है। वास्तु दोष-विघ्न दूर करते हैं विनायक। जिस घर के मुख्य द्वार पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या तस्वीर होती है, वहां रहने वालों की दिनों-दिन उन्नति होती है।
आम, पीपल और नीम से बनी श्रीगणेश की मूर्ति घर के मुख्य दरवाजे पर लगाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। घर के मुख्य द्वार पर चौखट के ऊपर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या तस्वीर लगानी चाहिए। उनके आस-पास सिंदूर से उनकी दोनों पत्नियों के नाम रिद्धि-सिद्धि लिखने की परम्परा है।
घर में पूजा के लिए भगवान श्रीगणेश की शयन या बैठी हुई मुद्रा में मूर्ति शुभ मानी जाती है। कार्यस्थल पर खड़ी हुई मुद्रा में भगवान श्रीगणेश की मूर्ति लगाएं। इससे स्फूर्ति और उमंग बनी रहती है।
ध्यान रहे कि खड़े हुए श्रीगणेश जी के दोनों पैर जमीन को स्पर्श करते हुए हों। इससे कार्य में स्थिरता आती है। घर में भगवान श्रीगणेश का चित्र लगाते समय ध्यान रखें कि चित्र में मोदक या लड्डू और चूहा अवश्य होना चाहिए। घर में भगवान श्रीगणेश की ज्यादा मूर्तियां या तस्वीरें नहीं होनी चाहिएं।