Kundli Tv- न रखें बच्चे का ये नाम, होगी बदनामी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Oct, 2018 01:09 PM

do not keep child s name like this

किसी भी व्यक्ति का नाम उसकी पहचान होता है। हिंदू धर्म में शुभ दिन और मुहूर्त देखने के बाद नामकरण संस्कार किया जाता है।

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किसी भी व्यक्ति का नाम उसकी पहचान होता है। हिंदू धर्म में शुभ दिन और मुहूर्त देखने के बाद नामकरण संस्कार किया जाता है। यह बच्चे के जन्म लेने के बाद उसकी लाइफ का पहला फंक्शन होता है। इस दिन रखे गए नाम से ही वह जाना जाता है। घर-परिवार और रिश्तेदार प्यार से तो बच्चे को बहुत सारे नामों से पुकारते हैं लेकिन एक नाम ऐसा होता है, जो बच्चे को समाज में पहचान देता है। शास्त्रों के अनुसार किसी भी व्यक्ति के नाम से उससे जुड़ी कई बातों का पता लगाया जा सकता है। नाम में एक ऐसी उर्जा होती है, जो जीवन पर अच्छा और बुरा प्रभाव डालती है। कुछ नाम ऐसे भी होते हैं, जो दूसरों की नजर में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। नाम रखने से पहले खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है। कुछ नाम ऐसे भी हैं जो पौराणिक इतिहास में बहुत चर्चित रहे हैं, फिर भी उन नामों को रखना बदनामी को निमंत्रण देना है। आइए जानें उन नामों के बारे में जो संतान के लिए लाते हैं बेड लक-
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अश्वत्थामा- महाभारत के नायक अश्वत्थामा, उन सात संजीवन देवों में शामिल हैं जिनकी प्रात:काल आयु वृद्धि के लिए मंत्र से पूजा की जाती है। वह अजर अमर हैं परन्तु श्रीकृष्ण के द्वारा दिए श्राप व अपने पापों के कारण आज भी वह पृथ्वी पर मारा-मारा फिरता है। 

गांधारी- गंधार नरेश की पुत्री गांधारी ने 100 पुत्रों और एक पुत्री को एकसाथ जन्म दिया था। उनका विवाह धृतराष्ट्र से हुआ। जो जन्म से ही नेत्रहीन थे, जब गांधारी को इस बात का पता लगा तो उन्होंने नेत्रहीन होकर जीवन जीने की प्रतिज्ञा ली और अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली।
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विभीषण- विभीषण ने अपने भाई रावण की मृत्यु का भेद श्री राम को बताया था। इसलिए उन्हें घर का भेदी भी कहा जाता है। 

द्रौपदी- महाराज द्रुपद ने द्रोणाचार्य से अपने अपमान का बदला लेने के लिए संतान प्राप्ति के उद्देश्य से यज्ञ किया। कुंड से एक कुमारी प्रकट हुई। उसका वर्ण श्याम था तथा वह अत्यंत सुंदरी थीं। महाकाली ने क्षत्रिय के अंश रूप से उसमें प्रवेश किया था। उसका नाम कृष्णा रखा गया। द्रुपद की पुत्री होने से वह द्रौपदी भी कहलाई।
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शकुनि- चतुर परामर्श देने वाले को शकुनि कहा जाता है। ये गांधारी का भाई था। जिसने हस्तिनापुर को बर्बाद कर डाला।

कैकेयी- कैकेयी राजा दशरथ की प्रिय रानी थी। उसने अपनी दासी मंथरा की बातों में आकर अपनी गृहस्थी बर्बाद कर ली।
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दुर्योधन- दुर्योधन ने जीवन भर अन्याय का पथ अपनाया। उस पर अपने मामा शकुनी के गलत संस्कारों का प्रभाव था। जिससे वे अपने जीवन को सही दिशा में न ले जा सका लेकिन अपने लक्ष्य को पाने के लिए तन्मयतापूर्वक लगा रहा। 
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