Edited By Jyoti,Updated: 29 Apr, 2018 03:51 PM
भगवान शिव के बहुत से रुप हैं। जिनमें उन्हें पूजा जाता है और मनवांछित वरदान प्राप्त किए जाते हैं। उनके कुछ रूप शांत सौम्य और मंगलकारी हैं तो कुछ ऐसे भी रुप हैं जो व्यग्र और विनाशकारी माने जाते हैं। ऐसे उग्र रुपों में काल भैरव और नटराज आते हैं।
भगवान शिव के बहुत से रुप हैं। जिनमें उन्हें पूजा जाता है और मनवांछित वरदान प्राप्त किए जाते हैं। उनके कुछ रूप शांत सौम्य और मंगलकारी हैं तो कुछ ऐसे भी रुप हैं जो व्यग्र और विनाशकारी माने जाते हैं। ऐसे उग्र रुपों में काल भैरव और नटराज आते हैं। नटराज की मूर्ति अथवा तस्वीर देखने में तो बहुत सुंदर लगती है लेकिन भगवान शिव का तांडव विनाशकारी नृत्य है। अत: इसे घर में नहीं रखना चाहिए। ये अशुभ फलकारक होता है।
नाट्यशास्त्र के मतानुसार भगवान शिव ही नृत्य और संगीत के जनक हैं इसलिए भगवान शिव नटेश्वर और नटराज कहलाते हैं। नर्तक और गायक भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए उनके नटराज रूप को घर में सजाते हैं।
नटराज को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में काल के देव माने जाने वाले भगवान शिव की नृत्य भंगिमा वाले रूप को ही नटराज के नाम से जाना जाता है। लगभग हर क्लासिकल डांसर के घर पर नटराज का शोपीस देखने को मिलता है। नटराज के प्रतिरूप में भगवान शिव अपने नाच में जबरदस्त कला का रुप दिखा रहे हैं तो वहीं पर दूसरी ओर यह नृत्य विनाश का प्रतीक भी है इसलिए आपको यह विनाश का प्रतीक अपने घर पर रखने से बचना चाहिए।
दक्षिण भारत के तमिलनाडु में बत्तीस एकड़ के क्षेत्र में दो नदियों के मध्यभाग में चिंदबरम् ऐसा शिव मंदिर है जहां शिवलिंग नहीं है, बल्कि कांसे की नटराज मूर्ति विराजित है। नटराज की शक्ति-स्वरूपा नाट्येश्वरी भी है। मंदिर की शिल्प कला बेजोड़ है। धरती पर इसी स्थान पर ही भगवान शिव ने संध्या ताण्डव किया था। रौद्र तांडव करने वाले शिव रुद्र कहे जाते हैं, आनंद तांडव करने वाले शिव नटराज।