नहाने से पहले करें ये शुभ काम, सारा दिन आपके लिए रहेगा मंगलमय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 09:51 AM

do this auspicious work before bathing

शास्त्रों के अनुसार स्नान करने के बाद ही व्यक्ति शुद्ध होता है और तभी उसके द्वारा किए गए धर्म-कर्म के कार्य साकार होते हैं। क्या आप जानते हैं कुछ काम ऐसे हैं जो बिना नहाए भी किए जा सकते हैं। इससे कुंडली में स्थित नवग्रह दोष समाप्त होते हैं और...

शास्त्रों के अनुसार स्नान करने के बाद ही व्यक्ति शुद्ध होता है और तभी उसके द्वारा किए गए धर्म-कर्म के कार्य साकार होते हैं। क्या आप जानते हैं कुछ काम ऐसे हैं जो बिना नहाए भी किए जा सकते हैं। इससे कुंडली में स्थित नवग्रह दोष समाप्त होते हैं और देवी-देवताओं की कृपा भी बनी रहती है। प्रात: उठकर बिस्तर पर बैठकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।


मंत्र- ऊँ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः सर्वे ग्रहा शान्तिकरा भवन्तु॥


अर्थात- हे ब्रह्मा, विष्णु और शिव, मैं आपको नमस्कार करता हूं। हे त्रिदेव आप सूर्य, चंद्र, मंगल ,बुध गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु सभी ग्रहों के अशुभ प्रभावों को शांत कर दो। ये ग्रह मेरे जीवन में शुभ प्रभाव दें।


अब अपने इष्टदेव का सिमरण करते हुए दोनों हथेलियों को देखें और इस मंत्र का उच्चारण करें।

 

मंत्र- कराग्रे वसते लक्ष्मि:, कर मध्ये सरस्वती। कर मूले तु गोविन्द:, प्रभाते कर दर्शनम्।। 


सफलता के क्षितिज पर पहुंचने के लिए हथेली के अर्ग भाग में महालक्ष्मी आखिरी हिस्से में सरस्वती और हथेली के बीच में स्वयं भगवान श्री विष्णु विराजते हैं। इससे आत्मबल बढ़ेगा और सकारात्मक उर्जा का संचार होगा। हमारे हाथों का बहुत महत्व है जीवन में। ये पुरुषार्थ के प्रतीक हैं। भाग्य हाथों में ही लिखा होता है। हथेलियों के दर्शन के समय मन में संकल्प लें कि मैं परिश्रम कर दरिद्रता और अज्ञान को दूर करूंगा और अपना व जगत का कल्याण करूंगा।
 

समस्त दिन आपके लिए शुभ और मंगलमय रहे, इसके लिए बिस्तर से उठते ही सबसे पहले अपने दोनों हाथों को आपस में रगड़ कर चेहरे पर लगाएं और इस मंत्र का उच्चारण करें।

 
मंत्र- ॐ मंगलम् भगवान विष्णु: मंगलम् गरूड़ध्वज:। मंगलम् पुण्डरीकांक्ष: मंगलाय तनो हरि।।

तत्पश्चात नित्य कामों से निवृत होकर स्नान करें। ज्यादा देर तक बिना नहाए न रहें। रात में पहने हुए कपड़ों को शीघ्र त्याग देना चाहिए। 

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