Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Oct, 2018 04:44 PM
नवरात्र पूजन की नवमी पर देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। शास्त्रानुसार भगवान शंकर ने इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था
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नवरात्र पूजन की नवमी पर देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। शास्त्रानुसार भगवान शंकर ने इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था और मां सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव को अर्धनारीश्वर रूप प्राप्त हुआ था। यह देवी इन सभी सिद्धियों की स्वामिनी हैं। इनकी पूजा से भक्तों को ये सिद्धियां प्राप्त होती हैं। देवी सिद्धिदात्री की भक्ति से मनुष्य को अर्थ, कर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इनकी पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय ब्रह्म मुहूर्त वेला है अर्थात प्रातः 4 बजे से 6 बजे के बीच इनकी उपासना करना श्रेष्ठ है। इनकी पूजा सफेद रंग के फूलों विशेषकर तुलसी मंजीरी से करनी चाहिए। इन्हें केले का भोग लगाना चाहिए तथा श्रृंगार में इन्हें केसर अर्पित करना शुभ होता है। इनकी साधना से सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
नवरात्र का हवन नवमी तिथि को करना उत्तम रहता है। हवन सामग्री को बाजार से लाने की बजाय घर पर तैयार करें तिल, जौ, गुग्गुल आदि मिलाकर हवन करें। नवरात्र की नवमी तिथि को बलि दी जाती है। कुछ ग्रंथों में पशु बलि देने का भी विधान है लेकिन मादा जीवों की बलि पर निषेध है। कालिका पुराण में कूष्मांड यानि कद्दू की बलि का विधान बताया गया है । गन्ने का रस भी चढ़ाया जा सकता है। सारा परिवार मिलकर नवमी के दिन हवन करे तो सुख और सौभाग्य बढ़ता है।
दुर्गासप्तशती के अंत में बताया गया है जब भी देवी की उपासना की जाती है तो अंत में सिद्धिकुंजिका मंत्र अवश्य पढ़ना चाहिए। इस मंत्र को गुप्त रखने का विधान है। कुछ विद्वान तो यहां तक कहते हैं की जो लोग सिद्धिकुंजिका मंत्र का जाप नहीं करते उनकी उपासना व्यर्थ जाती है। नवमी के दिन इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। सिद्धिकुंजिका स्त्रोत और मंत्र का जाप करने के बाद देवी पर अष्टगंध चढ़ाएं- चन्दन, अगर, कपूर, ग्रंथिपर्ण केसर, गोरोचन, जटामासी और लोहबान से हवन करने वाला व्यक्ति माता का प्रिय बन जाता है। इस मंत्र का जाप करें-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल
ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा
नवमी का महाउपाय: सिद्धियों की प्राप्ति के लिए देवी सिद्धिदात्री पर ध्वजा चढ़ाएं।
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