Edited By Jyoti,Updated: 01 Apr, 2018 11:34 AM
शिव पुराण के अनुसार भगवान शंकर एकमात्र एेसे देव हैं, जो अपने भक्तों की भक्ति से बहुत सरलता से व जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। इसीलिए इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है और यही कारण था की असुर भी वरदान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की तपस्या किया करते थे और उनसे...
शिव पुराण के अनुसार भगवान शंकर एकमात्र एेसे देव हैं, जो अपने भक्तों की भक्ति से बहुत सरलता से व जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। इसीलिए इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है और यही कारण था की असुर भी वरदान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की तपस्या किया करते थे और उनसे मनचाहा वरदान प्राप्त कर लेते थे। तो यदि आपभी इनकी कृपा पाना चाहते हैं तो शिवपुराण में बताए ये गए उपाय करें, जिन्हें खासकर सोमवार को करने से शिव शंकर की कृपा प्राप्त होती है।
उपाय
भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।
भगवान को अन्न अर्पण करने के बाद हमेशा उसे गरीबों में बांट देना चाहिए।
शिव को प्रसन्न करने के लिए डमरू बजाएं व बम भोले का जाप करें।
ज्ञान एवं विद्वत्ता की इच्छा वाले साधकों को स्फटिक के शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
सब सुख चाहने वाले को सोने चांदी अथवा रत्नों से बना शिवलिंग पूजना चाहिए।
शिव रखेंगे स्वस्थ
शिवपुराण के अनुसार जानिए, भगवान शिव को कौन-सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से क्या फल मिलता है-
बुखार होने पर दवाई के अतिरिक्त भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख एवं संतान की वृद्धि के लिए भी जल द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
तेज दिमाग के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंद की प्राप्ति होती है।
शिव को गंगा जल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टी.बी. रोग में आराम मिलता है।
यदि शारीरिक रूप से कमजोर कोई व्यक्ति भगवान शिव का अभिषेक गाय के शुद्ध घी से करे तो उसकी कमजोरी दूर हो सकती है।
रुद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
मानसिक रुप से विचलित रहने वालों को मन की शांति के लिए रुद्र गायत्री मंत्र से भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। जिन जातकों की जन्म पत्रिका अर्थात कुंडली में कालसर्प, पितृदोष एवं राहु-केतु अथवा शनि का कोप है इस मंत्र के नियमित जाप एवं नित्य शिव की आराधना से सारे दोष दूर हो जाते हैं। इस मंत्र का कोई विशेष विधि-विधान भी नहीं है। इस मंत्र को किसी भी सोमवार से प्रारंभ किया जा सकता हैं। अगर उपासक सोमवार का व्रत करें तो श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। ध्यान रहे कोई भी आराधना तभी फलदायी होती है जब वो सच्चे मन से की जाती है।