Kundli Tv- केदारनाथ से जुड़ा ये रहस्य क्या जानते हैं आप

Edited By Jyoti,Updated: 09 Dec, 2018 05:00 PM

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इतना तो सभी जानते ही हैं कि हिंदू धर्म में तीर्थ यात्रा करना कितना बड़ा पुण्य माना जाता है। कहते हैं कि किसी भी धार्मिक स्थल की यात्रा करने से भगवान प्रसन्न तो होते ही हैं इसके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति का वरदान भी देते हैं।

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इतना तो सभी जानते ही हैं कि हिंदू धर्म में तीर्थ यात्रा करना कितना बड़ा पुण्य माना जाता है। कहते हैं कि किसी भी धार्मिक स्थल की यात्रा करने से भगवान प्रसन्न तो होते ही हैं इसके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति का वरदान भी देते हैं। हमारे हिंदू धर्म में वैष्णो देवी, अमरनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदानाथ, कैलाशमानसरोवर, मणि महेश आदि कई धार्मिक स्थल हैं जिनकी यात्रा करने से जीव को मुक्ति मिलती है। लेकिन कुछ लोग ऐसे लोग होते हैं जो इन पावन तीर्थों की यात्रा तो कर लेते हैं लेकिन उन्हें ये नहीं पता रहता कि इनके पीछे पौराणिक कथाएं क्या है। शास्त्रों की मानें तो हर तीर्थस्थल के स्थापित होने के साथ कोई न कोई पौराणिक कहानी जुड़ी हुई है। तो आइए आज हम बात करते हैं शिव जे एक धाम के बारे में जहां जाते तो बहुत से लोग हैं, लेकिन इसकी पीछे की पौराणिक कथा कोई नहीं जानता होगा।
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केदारनाथ और बद्रीनाथ उत्तराखंड के इन दोनों तीर्थों को हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ हैं। हिंदू धर्म में इन दोनों के दर्शनों का बड़ा ही माहात्म्य है। बहुत से लोग नहीं जानते होंगे कि केदारनाथ की यात्रा किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा संपूर्ण नहीं माना जाती। हिंदू धर्म का ये प्रमुख स्थल तीन तरफ पहाड़ों से घिरा हुआ है। एक तरफ 22 हज़ार फीट ऊंचा केदारनाथ है, तो दूसरी तरफ 21 हज़ार 600 फीट ऊंचा खर्चकुंड और तीसरी तरफ़ 22 हजार 700 फीट ऊंचा भरतकुंड। इसे पांच नदियों मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी का संगम कहा जाता है। आपको बता दें कि इन नदियों में से कुछ नदियां तो अब अस्तित्व में भी नहीं है, लेकिन अलकनंदा की सहायक मंदाकिनी आज भी मौज़ूद है। जिसके किनारे केदारनाथ धाम है।
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कुछ मान्यताओं की मानें तो केदारनाथ को जागृत महादेव के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन हम में से बहुत से लोग जिन्हें इसके बारे में नहीं पता होगा। तो चलिए आपको इससे जुड़ा एक प्रंसग बताते हैं। इस प्रंसग के मुताबिक काफी समय पहले शिव जी एक भक्त केदारनाथ का दर्शन करने के लिए अपने घर से पैदल ही निकल पड़ा। केदारनाथ धाम तक पहुंचने में उसे महीनों लग गए। भक्त जब वहां पहुंचा तो केदारनाथ के द्वार 6 महीने बंद के लिए हो रहे थे। परंपरा के मुताबिक दोबारा ये द्वार 6 महीने के बाद ही खुलते हैं। भक्त ने पंडित जी से इस बात का अनुरोध किया कि कुछ समय के लिए द्वार खोल दें ताकि वह प्रभु के दर्शन कर सके। लेकिन पंडित जी ने परंपरा का पालन करते हुए द्वार को बंद कर दिया। इससे भक्त बहुत निराश हुआ और रोने लगा।
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पंडित जी ने भक्त से कहा कि वह अपने घर चला जाए और 6 महीने के बाद ही आए लेकिन भक्त ने उनकी बात नहीं मानी और वहीं पर खड़ा होकर शिव जी के दर्शन करने की उम्मीद से उन्हें याद करने लगा। रात तक उसका भूख-प्यास से बुरा हाल हो गया। इसी दौरान अचानक उसे रात के अंधेरे में एक सन्यासी बाबा के आने की आहट सुनी। जिनसे मिलने के बाद उन्हें सारा हाल कह सुनाया। बाबा ने कहा कि तुम निराश मत होना, शिव जी तुम पर प्रसन्न होंगे और तुम देखना मंदिर के द्वार ज़रूर खुलेंगे। और तुम्हें शिव के दर्शन ज़रूर करोगे। इसके कुछ समय बाद भक्त गहरी नींद में सो गया। सुबह जब भक्त की आंख खुली तो उसने देखा कि पंडित जी अपनी मंडली के साथ केदारनाथ के द्वार को खोलने की तैयारी कर रहे हैं। भक्त ने पंडित जी को प्रणाम किया और कहा कि आपने तो कहा था कि द्वार 6 महीने के बाद खुलेंगे। लेकिन आप इसे आज ही खोलने जा रहे हैं। पंडित जी ने उस भक्त को पहचान लिया और कहा कि द्वार 6 महीने बाद ही खोले जा रहे हैं। इस पर भक्त ने उन्हें समस्त घटनाक्रम कह सुनाया। पंडित जी समझ गए कि इस भक्त से उस रात स्वयं शिव जी ही मिलने आए थे। यही वजह है कि केदारनाथ को जागृत महादेव कहा जाता है।
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आपको बता दें कि केदारनाथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। राहुल सांस्कृत्यायन ने इस मंदिर का निर्माण काल दसवीं या बारहवीं शताब्दी के मध्य बताया है। मंदिर के गर्भगृह में नुकीली चट्टान के रूप में सदाशिव प्रतिष्ठित हैं, जिस पर गुहा से जल की बूंदें टपकती रहती हैं।
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