क्या आप जानते हैं संस्कृत के मुस्लिम पंडितों को?

Edited By Lata,Updated: 05 Dec, 2019 09:37 AM

do you know muslim sanskrit pandits

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के छात्र डा. फिरोज खान की बतौर संस्कृत टीचर नियुक्ति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के छात्र डा. फिरोज खान की बतौर संस्कृत टीचर नियुक्ति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि मुसलमान संस्कृत नहीं पढ़ा सकता। ऐसे लोगों को पंडित गुलाम दस्तगीर ब्रजदार से मिलना चाहिए। 85 वर्षीय पंडित गुलाम विश्व संस्कृत प्रतिष्ठान वाराणसी के पूर्व महासचिव हैं और वर्तमान में महाराष्ट्र में स्कूलों के लिए संस्कृत की किताबों को तैयार करने के लिए गठित कमेटी के चेयरमैन भी हैं। संस्कृत पर उनकी इतनी पकड़ है कि कई बार हिन्दू उन्हें शादी पढ़ाने, पूजा या फिर अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बुलाते हैं। हालांकि ऐसे निवेदनों को वह ठुकराते भी हैं। हिन्दू अनुष्ठानों के लिए मंत्रोच्चारण हेतु गुलाम कई हिन्दुओं को शिक्षा दे चुके हैं। 
PunjabKesari
उनका कहना है कि उन्होंने सारी उम्र संस्कृत को बढ़ावा दिया है और इसको बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी सहित कई स्थानों पर पढ़ाया है। मैंने संस्कृत पर कई लैक्चर दिए मगर अभी तक किसी भी व्यक्ति ने मुझसे यह नहीं कहा कि मुसलमान होने के नाते मुझे संस्कृत नहीं पढ़ानी चाहिए। एक टैक्स्ट बुक कमेटी की बैठक में भाग लेने के दौरान उन्होंने फोन पर बताया कि संस्कृत के बड़े-बड़े विद्वान उनके इस कार्य के लिए प्रशंसा करते हैं। इस पुरातन भाषा के लिए उनके कार्य को सराहा जाता है। उनके इस कार्य के लिए पूर्व राष्ट्रपति डा. के.आर. नारायणन ने उनको प्रमाणित पंडित होने का प्रशस्ति पत्र भी दिया है। वह ऐसे मुसलमानों में शामिल हैं जो सभी सरहदों को तोड़ कर संस्कृत को पढ़ा रहे हैं। गुलाम ब्रजदार के लिए वैदिक नियम 'एकं ब्रह्म दुतिया नास्ती (भगवान एक है तथा उसके अलावा कोई नहीं) ही सच्चाई है।

वहीं डा. मिराज अहमद खान ने संस्कृत को कालेज तथा यूनिवर्सिटी में पढ़ा है। उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी में बी.ए. तथा एम.ए. में टॉप भी किया था। पुलिस इंस्पैक्टर के बेटे मिराज आज कश्मीर यूनिवर्सिटी में संस्कृत के सहायक प्रोफैसर हैं। उनका कहना है कि हम जो यूनिवर्सिटियों में पढ़ाते हैं वह माडर्न संस्कृत है, जिसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं। इस विषय पर कभी उनसे भेदभाव भी नहीं किया गया। खान का कहना है कि यदि उनसे भेदभाव किया होता तो उन्हें कभी भी एम.ए. में गोल्ड मैडल न मिलता। कुछ विद्वानों का कहना है कि अब ज्यादा से ज्यादा मुसलमान संस्कृत पढ़ रहे हैं क्योंकि उनमें भारतीय सभ्यता को जानने की जिज्ञासा पैदा हो रही है क्योंकि भारत की सांस्कृतिक विरासत को समझने के लिए संस्कृत मूल स्रोत है। अब कई मुसलमान इस भाषा को सीख रहे हैं। खान का कहना है कि उनके विभाग के 50 प्रतिशत छात्र मुसलमान हैं। शिक्षकों की नियुक्ति करने के दौरान कभी भी भेदभाव नहीं किया गया।
PunjabKesari
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (ए.एम.यू.) के संस्कृत विभाग के पूर्व प्रमुख डा. खालिद-बिन-यूसुफ का कहना है कि उनके छात्र विभिन्न विश्वविद्यालयों में शिक्षा दे रहे हैं। वहीं ए.एम.यू. के संस्कृत विभाग के चेयरमैन प्रो. मोहम्मद शरीफ का कहना है कि यू.पी.एस.सी. परीक्षाओं में संस्कृत को स्कोरिंग सब्जैक्ट माना जाता है। इसी कारण इसमें रुचि ली जाती है। यदि छात्र यू.पी.एस.सी. में उत्तीर्ण नहीं कर पाते तो वे संस्कृत के टीचर बन जाते हैं। उल्लेखनीय है कि शरीफ पहले मुसलमान हैं जिन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से संस्कृत में डी.लिट प्राप्त किया था। किसी भी भाषा को सीखने के लिए किसी के पास दैवीय अधिकार नहीं होता। कई मुसलमान संस्कृत भाषा सीख रहे हैं क्योंकि वह चाहते हैं कि इस्लाम तथा हिन्दू विचारधारा को और पास लाया जा सके। कुरान तथा हिन्दू शास्त्रों के ज्ञान से दो विचारधाराओं को आपस में जोड़ा जा सकता है। 

डा. मोहम्मद हनीफ खान शास्त्री का कहना है कि पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा संस्कृत से इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने उनको शास्त्री की उपाधि दे दी। वह 2016 में दिल्ली में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से सहायक प्रोफैसर सेवानिवृत्त हुए हैं। शास्त्री का कहना है कि वह सनातन धर्म ग्रंथों (वेद, उपनिषद, भगवद् गीता) तथा कुरान में समानताएं खोज रहे हैं। शास्त्री का कहना है कि उन्होंने संस्कृत न सीखी होती तो उन्हें वसुधैव कुटुम्बकम (सारा विश्व एक परिवार है) का मतलब न पता चलता। हजरत मोहम्मद ने भी यही उपदेश दिया है कि लोगों के बीच रंग और नस्ल को लेकर कोई भी भेदभाव नहीं करना चाहिए।  उनका पीएच.डी. शोध गायत्री मंत्र पर है। शास्त्री अंत में कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग सोचते हैं कि संस्कृत उनका जन्मसिद्ध अधिकार है।                                     

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!