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Edited By Jyoti,Updated: 14 Aug, 2018 10:57 AM

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ज्योतिष व हिंदू धर्म की मानें तो सावन में शिव शंकर का जितना भी नाम लिया जाए कम ही है। शास्त्रो के अनुसार श्रावण का माह सबसे पावन माह माना जाता है।

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ज्योतिष व हिंदू धर्म की मानें तो सावन में शिव शंकर का जितना भी नाम लिया जाए कम ही है। शास्त्रो के अनुसार श्रावण का माह सबसे पावन माह माना जाता है। इस महीने की महिमा जानने के बाद हर कोई इस महीने में शिव शंकर की पूजा करने लगता है। क्योंकि यह माह भगवान शंकर को समर्पित है। महादेव के पूजन के साथ-साथ इसमें बाकि देवी-देवताओं की पूजा का भी उतना ही महत्व है, जितना भोलेनाथ का। सावन के महीने के बारे में कहा जाता है कि यह देवों के देव महादेव का सबसे प्रिय महीना है।
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मान्यता है कि सावन महीने में ही भगवान शिव पृथ्वी पर आते हैं और एक महीने के लिए यही निवास करते हैं। इस वजह से यह महीना और भी ख़ास हो जाता है। शिवभक्तों के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने का इससे बेहतर समय और कोई नहीं सकता है। शिवपुराण में कई ऐसे उपायों के बारे में बताया गया है, जिसे अपनाकर कोई भी भगवान शिव को बहुत जल्दी ही प्रसन्न कर सकता है। अगर आप भी अपने जीवन में समस्याओं से परेशान हैं तो शिवपुराण में बताए गए इन उपायों को ज़रूर अपनाएं। इन उपायों को सावन के महीने में करना ज़्यादा फलदायी माना गया है।
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उपाय
कहा जाता है कि घर में शाम के समय उजाला ज़रूर करना चाहिए। केवल इंसानों को ही नहीं बल्कि देवी-देवताओं को भी उजाला अच्छा लगता है। यही वजह है कि देवी-देवताओं के समक्ष शाम के समय दीपक जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसलिए सावन में रोज़ाना शाम ढलने के बाद भगवान शिव के समक्ष दीपक जलाएं। इससे भगवान शिव बहुत ज़्यादा प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियों को हमेशा के लिए दूर कर देते हैं।
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कथा-
बहुत समय पहले की बात है गुणनिधि नाम का एक बहुत ग़रीब व्यक्ति था। भूखा होने की वजह से वह एक बार भोजन की तलाश में भटक रहा था। खाने की व्यवस्था करते-करते रात हो गयी। अब उसके पास रुकने की समस्या थी। इस वजह से वह एक शिवमंदिर में पहुंच गया। गुणनिधि ने रात के समय में मंदिर में रुकने का निर्णय किया। रात का समय था, इसलिए वहां बहुत अंधेरा था। अंधेरे को दूर करने के लिए गुणनिधि ने अपनी क़मीज़ जला दी। इससे उजाला हो गया और भगवान शिव बहुत ज़्यादा पप्रसन्न हुए। शिवजी ने उसे वरदान दिया और अगले जन्म में यह व्यक्ति देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर बन गया।
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 इस मंदिर में सूर्य की किरणें दिखने पर मनाया जाता है उत्सव (देखें VIDEO)

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