शास्त्रों के अनुसार, जानिए शुभ-अशुभ स्वप्न आने पर क्या होता है प्रभाव

Edited By ,Updated: 19 Nov, 2016 03:26 PM

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अद्र्धरात्रि के प्रथम पहर बाद आने वाले स्वप्न ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विचारणीय होते हैं। यह समय रात के डेढ़ बजे से लेकर ब्रह्ममुहूर्त अर्थात प्रात: चार बजे तक का होता है। इस समय जो स्वप्न देखे जाते हैं,

अद्र्धरात्रि के प्रथम पहर बाद आने वाले स्वप्न ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विचारणीय होते हैं। यह समय रात के डेढ़ बजे से लेकर ब्रह्ममुहूर्त अर्थात प्रात: चार बजे तक का होता है। इस समय जो स्वप्न देखे जाते हैं, वे स्वप्न फलाफल की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं। इस समय को इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस समय मन सुषुम्ना नाड़ी में प्रविष्ट हो जाता है। यह नाड़ी विराट की प्रतिमूर्त होती है और इसमें प्राणी के कई जन्मों के संस्कार संग्रहित होते हैं। समय आने पर ये संस्कार व्यक्ति को स्वप्न के माध्यम से उसके पूर्व के संस्कारों अथवा उसके पाप-पुण्य को बताते हैं।


प्राय: रात्रि के द्वितीय प्रहर में देखे गए स्वप्न का फल छ: मास के भीतर तथा तृतीय पहर में देखे गए स्वप्न का फल तीन माह के अंदर मिलता है। प्रात: काल चार बजे के समय में देखे गए स्वप्न का फल एक माह के अंदर मिल जाता है। सूर्योदय से एक घंटा पूर्व देखे गए स्वप्न का फल दस दिनों में मिलता है। दिन में देखे गए स्वप्न का कोई फल नहीं मिलता। प्रत्येक दिन बदल-बदल कर आने वाले स्वप्न को ‘माला स्वप्न’ कहा जाता है। ऐसे सपनों का भी कोई शुभ-अशुभ फल नहीं होता।


शास्त्रों के अनुसार अगर रात में शुभदायी स्वप्न को देखा गया हो तो स्वप्न देखने के बाद दोबारा नहीं सोना चाहिए। उसी समय स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान ध्यान, पूजा-पाठ में मग्न हो जाना चाहिए। स्वप्न की बात किसी को नहीं बतानी चाहिए।
इसके विपरीत अशुभ स्वप्न देखने के बाद एक गिलास पानी पीकर पुन: सो जाना चाहिए। अगर स्मरण  रहे तो प्रात: काल श्रेष्ठ जनों को इस स्वप्न के विषय में बता देना चाहिए। इससे स्वप्न के अशुभफल में कमी आ जाती है।
 

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