Dussehra 2021: विजय दशमी पर बन रहा है ग्रहों का विशेष संयोग, जानें शुभ मुहूर्त !

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Oct, 2021 10:24 AM

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दशहरा यानि विजया दशमी का पर्व हर साल अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इसे बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक भी माना जाता है।

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Vijayadashami 2021: दशहरा यानि विजया दशमी का पर्व हर साल अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इसे बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। यह पर्व पूरे देश में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री राम ने अधर्म, अत्याचार और अन्याय के प्रतीक रावण का वध करके पृथ्वीवासियों को भयमुक्त किया था और देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध करके धर्म और सत्य की रक्षा की थी जिस पर देवताओं ने भी विजयोत्सव मनाया था। तब से विजयोत्सव मनाने की परंपरा चली आ रही है।

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इस दिन भगवान श्री राम, दुर्गाजी, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और हनुमान जी की आराधना करके सभी के लिए मंगल की कामना की जाती है। समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विजयादशमी पर रामायण पाठ, श्री राम रक्षा स्त्रोत, सुंदरकांड आदि का पाठ किया जाना शुभ माना जाता है।

विजय दशमी यानी दशहरा पर्व 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा और इस दिन ग्रहों के विशेष संयोग बन रहे हैं । इस दिन मकर राशि में तीन ग्रहों की युति बनेगी देवगुरु बृहस्पति, शनि और चंद्रमा का गोचर मकर राशि में होगा। इस दिन श्रवण नक्षत्र रहेगा।

दशमी तिथि 14 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार को शाम 06 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ होकर 15 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को शाम 06 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी। अत: विजय दशमी का त्योहार 15 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। यदि दशमी तिथि 2 दिन पड़ती है परंतु श्रवण नक्षत्र पहले दिन के अपराह्न काल में पड़े तो विजयदशमी का त्योहार प्रथम दिन में मनाया जाता है। हालांकि इस बार दो तिथियों का संयोग नहीं है।

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इस दिन पंचांग के अनुसार दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से 02 बजकर 48 मिनट तक विजय मुहूर्त का योग बना हुआ है। दशमी की तिथि को शुभ कार्य करने के लिए भी उत्तम माना गया है।

अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में की गई पूजा से सभी ओर जीत मिलती है।

विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 01 मिनट 53 सेकंड से दोपहर 2 बजकर 47 मिनट और 55 सेकंड तक रहेगा। जब सूर्यास्त होता है और आसमान में कुछ तारे दिखने लगते हैं तो यह अवधि विजय मुहूर्त कहलाती है। इस समय कोई भी पूजा या कार्य करने से अच्छा परिणाम प्राप्त होता है। कहते हैं कि भगवान श्रीराम ने रावण को हराने के लिए युद्ध का प्रारंभ इसी मुहुर्त में किया था।

अपराह्न मुहूर्त : 1 बजकर 15 मिनट 51 सेकंड से 3 बजकर 33 मिनट और 57 सेकंड तक तक रहेगा । दशहरा पर्व अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है। यह समय सूर्योदय के बाद दसवें मुहूर्त से लेकर बारहवें मुहूर्त तक रहता है।

इस बार ग्रहों के विशेष संयोग की वजह से दशहरा यानी विजयदशमी का पर्व बहुत खास रहने वाला है।

गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com

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