Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Oct, 2020 09:16 AM
उत्तर में
उत्तर भारत में रावण के पुतले जलाने के अलावा विशेषकर हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी में अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्ध दशहरा उत्सव मनाया जाता है जिसे
उत्तर में
उत्तर भारत में रावण के पुतले जलाने के अलावा विशेषकर हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी में अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्ध दशहरा उत्सव मनाया जाता है जिसे कुल्लू दशहरा भी कहते हैं। यहां त्यौहार दसवें दिन शुरू होता है और अगले सात दिनों तक रहता है। यह त्यौहार मनाते हुए यहां के लोग उस दिन को याद करते हैं जिस दिन स्थानीय राजा जगत सिंह द्वारा सिंहासन पर भगवान रघुनाथ की मूर्ति स्थापित की गई थी।
दक्षिण में
मैसूर में यह उत्सव मैसूर महल को सजाकर व दीए जलाकर बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। शहर में भी रावण, कुम्भकर्ण व मेघनाथ के पुतले बनाकर जलाए जाते हैं। यहां मां दुर्गा की मूर्तियां भी हाथी पर सुशोभित करके मंडप तक लाई जाती हैं।
पूर्व में
पूर्व भारत में दशहरा को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। इसमें दिन व परम्पराएं राज्यों के अनुसार अलग-अलग होती हैं। इस दौरान महिलाएं मां दुर्गा की पूजा करती हैं व अपने माथे पर सिंदूर लगाती हैं। यह त्यौहार व पूजा नवरात्रों की षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी व नवमी के दिन की जाती है और अंतिम दिन धूमधाम से दशहरा मनाया जाता है।
पश्चिम में
गरबा गुजरात का लोक नृत्य है और नवरात्रों के नौ दिनों में गुजरात के लोग गरबा खेलते हैं। इस दौरान लोग लोक गीतों पर गरबा खेलते हैं और मां दुर्गा से प्रार्थना करते हैं और दसवीं को दशहरा मनाया जाता है।