जन्माष्टमी पर सूना रहेगा द्वारकाधीश मंदिर

Edited By Jyoti,Updated: 09 Aug, 2020 06:18 PM

dwarkadhish temple latest update

हर साल जन्माष्टमी के ख़ास मौके पर मथुरा और द्वारका को देखते बनती है। लेकिन इस बार कोरोना काल में ऐसा कुछ संभव न हो।

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हर साल जन्माष्टमी के ख़ास मौके पर मथुरा और द्वारका को देखते बनती है। लेकिन इस बार कोरोना काल में ऐसा कुछ संभव न हो। आपको बता दें कि इस बार की जन्माष्टमी पर गुजरात स्थित द्वारकाधीश मंदिर बिन भक्तों के सूना रहेगा। क्योंकि फैलते संक्रमण की वजह मंदिर को तीन के लिए बंद कर दिया जाएगा। और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी।
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जानकारी के लिए बता दें कि वहां के जिला कलक्टर डॉ.नरेन्द्र कुमार मीणा ने 10  अगस्त से 13 अगस्त के दौरान द्वारका मंदिर जगत मंदिर में यात्रियों, दर्शनार्थियों के दर्शन करने, प्रवेश करने पर रोक लगा दी है। 

यह संभवत: पहली बार है जब जन्माष्टमी पर्व के दिन ही भगवान द्वारकाधीश के मंदिर के पट उनके भक्तों के लिए बंद रहेंगे। उनके दर्शन लोग साक्षात नहीं कर पाएंगे। इस वर्ष 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। 13 अगस्त को पारण उत्सव मनाया जाना है। वैसे यह पर्व चार दिन तक मनाया जाता है। हालांकि 13 अगस्त के बाद सोशल डिस्टेंशिंग के नियमों का पालन करते हुए दर्शन के लिए जा सकते हैं।
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देश में भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और कर्म स्थली द्वारका दो ही जगह ऐसी हैं जहां पर मनाई जाने वाली जन्माष्टमी विख्यात हैं। पहले से तैयारियां की जाती हैं। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन को पहुंचते हैं।

चलिए अब आपको श्रीकृष्ण की द्वारका से जुड़ी कुछ ख़ास जानकारी देते हैं। द्वारकाधीश मंदिर गुजरात के जामनगर ज़िले में गोमती नदी के तट पर द्वारका शहर में स्थित है। यह मंदिर द्वारका का मुख्य मंदिर है जिसे जगत मंदिर (ब्रह्मांड मंदिर) या रणछोड़राय मंदिर भी कहते हैं। यही गोमती द्वारका भी कहलाती है।
 

बता दें कि द्वारकाधीश का मुख्य मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना माना गया है ऐसा भी उल्लेख है कि महाभारत युद्ध के बाद जब द्वारका जहाँ पर भगवान कृष्ण का राज्य था, सागर में जलमग्न हो गई थी। लेकिन बाद में इस मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के पड़पोते वज्रनाभ ने किया था। हिन्दू दृष्टा और धर्मगुरु शंकराचार्य ने भी इसके विस्तार और निर्माण में व्यापक योगदान दिया। इतिहास के पन्ने पलटने से पता लगा कि जगत मंदिर के आस-पास की संरचनाओं का निर्माण16 वीं शताब्दी और इसका नवीनीकरण19 वीं शताब्दी में हुआ था।

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