दुनियावी मोह माया से मुक्ति दिलाएगा ये उत्तम व्रत

Edited By Jyoti,Updated: 09 Jun, 2018 08:16 AM

ekadashi fast on 10th june 2018

पद्मपुराण के अनुसार कामपिल्य नगर में सुमेधा नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी पवित्रा के साथ रहता था। वह बड़ा धर्मात्मा था उसकी पत्नी बड़ी सुन्दर, सुशील और पतिव्रता थी। उनके पास भोजन, वस्त्र और धन का अभाव था। वह भिक्षा मांगकर गुजारा करते और लोग भिक्षा भी...

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)
पद्मपुराण के अनुसार कामपिल्य नगर में सुमेधा नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी पवित्रा के साथ रहता था। वह बड़ा धर्मात्मा था उसकी पत्नी बड़ी सुन्दर, सुशील और पतिव्रता थी। उनके पास भोजन, वस्त्र और धन का अभाव था। वह भिक्षा मांगकर गुजारा करते और लोग भिक्षा भी बहुत कम देते थे। पत्नी स्वयं भूखी रहकर भी अतिथि सत्कार करती और माथे पर एक शिकन भी न लाती। एक दिन पति ने विदेश में जाकर धन कमाने की इच्छा प्रकट की और पत्नी से सहमति मांगी।

PunjabKesari

उसने कहा कि धन कमाने के लिए प्रयास तो करना चाहिए तभी पत्नी ने उदास होकर आंखों में आंसू भरकर कहा कि पुरषार्थ तो अपने देश में रह कर भी किया जा सकता है और भागय में जो कुछ लिखा है वह तो अवश्य मिलता है तो क्यों न अपने देश में ही इकट्ठे रहकर कर्म किया जाए। उसने कहा कि पिछले जन्म में न जाने कौन सा पाप किया होगा कि इस जन्म में हमें दरिद्रता का सामना करना पड़ रहा है, हो सकता है कि हमने पिछले जन्म में किसी भी प्रकार के अन्न, धन और वस्तुओं का दान न किया हो और हमें इस जन्म में इन सभ वस्तुओं से वंचित रहना पड़ रहा है।

PunjabKesari
एक दिन मुनि श्रेष्ठ कौंडिण्य जी महाराज उनके यहां पधारे और दोनों ने मुनि जी का आदर सत्कार करते हुए उनके चरण धोए, आरती उतारी और भोजन करवाया। मुनि प्रसन्न हो गए तो पत्नी ने मुनि जी से दरिद्रता दूर करने का उपाय पूछा ताकि पति विदेश न जाए और उन्हें पति से अलग न रहना पड़े। कौंडिण्य जी महाराज ने उन्हें दरिद्रता दूर करने के लिए पुरषोत्तम मास के कृष्ण पक्ष की परमा एकादशी व्रत के बारे में बताते हुए कहा कि नियम से इस व्रत का पालन करने से दुनियावी भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति स्वत: ही हो जाती है। भगवान को यह एकादशी अति प्रिय है क्योंकि यह पुरषोत्तम मास में आती है और इस एकादशी को भगवान का नाम प्राप्त है। उन्होंने कहा कि यह व्रत सर्वप्रथम कुबेर जी ने किया था और देवाधिदेव शंकर भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें धन का स्वामी बना दिया।  व्रत की विधि को सुनकर ब्राह्मण दम्पति ने बड़ी श्रद्घा से व्रत किया और पंचरात्रि व्रत सम्पूर्ण होने पर उन्होंने राजभवन से एक राजकुमार को आते देखा,जिसने ब्रह्मा जी की प्रेरणा से इस ब्राह्मण को सुन्दर पौशाकों सहित सभी सुविधाओं से युक्त एक मकान और जीवन निर्वाह करने के लिए एक गाय इन्हें दान में दे दी। ब्राह्मण परिवार इन सब वस्तुओं को पाकर सुखपूर्वक रहने लगा और अंत में भगवान के विष्णूधाम को प्राप्त हुआ।
PunjabKesari
ये चार अक्षर बदल सकते हैं आपका भाग्य (देखें VIDEO)

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!