ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी से मनुष्य को अपार धन की प्राप्ति होती है तथा जीव के सभी प्रकार के पापों का नाश भी हो जाता है, इसीलिए यह एकादशी अपरा नाम से प्रसिद्ध है। इस बार एकादशी व्रत 11 मई को है।
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी से मनुष्य को अपार धन की प्राप्ति होती है तथा जीव के सभी प्रकार के पापों का नाश भी हो जाता है, इसीलिए यह एकादशी अपरा नाम से प्रसिद्ध है। इस बार एकादशी व्रत 11 मई को है।
क्या है पुण्यफल
अपरा एकादशी का व्रत करने वाला मनुष्य अपार धन का स्वामी बनता है तथा उसे कभी किसी प्रकार के धन की कमीं नहीं रहती। अत्याधिक दान आदि पुण्यकर्म करने पर उसकी कीर्ति एवं यश फैलता है। ब्रह्मपुराण के अनुसार यह एकादशी व्रत महापाप का नाश करने वाली एवं अनन्त फलदायक है तथा भूत-प्रेत जैसी निकृष्ट योनियों से जहां जीव को मुक्ति प्रदान करता है वहीं ब्रह्महत्या, गोहत्या, भ्रूणहत्या, झूठ बोलना, झूठी गवाही देना, किसी की झूठी प्रशंसा करना, कम तोलना, वेद पढ़ने व पढ़ाने के नाम पर दूसरों को ठगना, गलत बातों का प्रचार करने वाला, क्षत्रीय धर्म का पालन न करने वाला अर्थात युद्ध में पीठ दिखाकर भागने वाला नरकगामी मनुष्य भी सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
यह व्रत पाप रूपि वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी तथा पुण्यकर्मों की प्राप्ति के लिए किसी कल्पवृक्ष से कम नहीं है। पदमपुराण के अनुसार कार्तिक मास में स्नान करने, माघ मास में सूर्य के मकर राशि पर आने से प्रयागराज में स्नान करने, बृहस्पति के सिंह राशि पर स्थित होने पर गोदावरी में स्नान करने, सूर्यग्रहण में कुरुक्षेत्र में स्नान करने, काशी में शिवरात्रि का व्रत करने, गया जी में पिण्डदान करके पितरों को तृप्ति प्रदान करने, बदरिकाश्रम की यात्रा में भगवान केदारनाथ जी के दर्शन करने तथा किसी भी समय हाथी, घोड़े, स्वर्ण, अन्न तथा गोदान आदि करने से जो पुण्य मिलता है वही फल एकादशी का एकमात्र व्रत करने से सहज ही प्राप्त हो जाता है। एकादशी की कथा पढ़ने और सुनने से भी जीव को लाभ होता है।
वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com
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