एकनाथ षष्ठी: आपको भी है अपने वारिस की तलाश ?

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Mar, 2019 11:53 AM

eknath sashti

श्री एकनाथ विख्यात मराठी संत हुए हैं। जिस दिन वे समाधि में लीन हुए उस दिन षष्‍ठी तिथि थी। उनका समाधि उत्सव एकनाथ षष्‍ठी के नाम से जाना जाता है। वे एक महान कवि के रुप में भी जाने जाते हैं, श्रीमद्भागवत एकादश स्कंध की

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श्री एकनाथ विख्यात मराठी संत हुए हैं। जिस दिन वे समाधि में लीन हुए उस दिन षष्‍ठी तिथि थी। उनका समाधि उत्सव एकनाथ षष्‍ठी के नाम से जाना जाता है। वे एक महान कवि के रुप में भी जाने जाते हैं, श्रीमद्भागवत एकादश स्कंध की मराठी-टीका, रुक्मिणी स्वयंवर, भावार्थ रामायण आदि प्रमुख हैं। उन्होंने गुरु कृपा से अपने जीवनकाल में भगवान दत्तात्रेय का दर्शन भी किया था। आइए जानें, कैसे की उन्होंने अपने उत्तराधिकारी की तलाश ?

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PunjabKesariजब संत एकनाथ को अपने उत्तराधिकारी की तलाश थी। इसके लिए उन्होंने अपने शिष्यों की परीक्षा लेने का निश्चय किया। उन्होंने सभी शिष्यों को एक दीवार बनाने का निर्देश दिया। सभी शिष्य इस काम में जुट गए। दीवार बनकर तैयार भी हो गई लेकिन तभी एकनाथ ने उसे तोडऩे का आदेश दिया। दीवार तोड़ दी गई। उन्होंने फिर से दीवार बनाने को कहा। दीवार फिर बनने लगी। एकनाथ ने उसे फिर तुड़वा दिया।

PunjabKesariदीवार ज्यों ही तैयार होती, एकनाथ उसे तोडऩे को कहते। यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा। धीरे-धीरे उनके सभी शिष्य उकता गए और इस काम से किनारा करने लगे। मगर एक शिष्य चित्रभानु पूरी लगन और तन्मयता के साथ अपने काम में जुटा रहा। बार-बार तोड़े जाने के बावजूद दीवार बनाने के काम से वह नहीं हटा और न ही उसके भीतर थोड़ी भी झुंझलाहट उत्पन्न हुई। एक दिन एकनाथ उसके पास गए और बोले, ‘‘तुम्हारे सभी मित्र काम छोड़कर भाग गए पर तुम अभी तक डटे हुए हो, ऐसा क्यों?’’

PunjabKesariचित्रभानु हाथ जोड़कर बोला, ‘‘मैं अपने गुरु की आज्ञा से पीछे कैसे हट सकता हूं। मैं तब तक इस कार्य को करता रहूंगा जब तक आप मना न कर दें।’’ 

एकनाथ बेहद प्रसन्न हुए। उन्होंने चित्रभानु को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए सभी शिष्यों से कहा, ‘‘संसार में अधिकतर लोग ऊंची आकांक्षाएं रखते हैं और ऊंचे पद पर पहुंचना भी चाहते हैं। मगर इसके लिए पात्रता जरूरी है।’’

लोग आकांक्षा तो रखते हैं, पर पात्रता प्राप्त करने के लिए प्रयास नहीं करते या थोड़ा बहुत प्रयास करके पीछे हट जाते हैं। किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए मात्र इच्छा और परिश्रम ही नहीं दृढ़ता की भी आवश्यकता है। चित्रभानु में इच्छा, परिश्रम, दृढ़ता के साथ धैर्य भी है। ऐसा व्यक्ति जीवन में अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करता है।

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