Edited By Lata,Updated: 15 Sep, 2019 01:43 PM
हर साल 15 सितंबर का दिन इंजीनियर डे के रूप में मनाया जाता है, जिसे अभियन्ता दिवस भी कहा जाता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हर साल 15 सितंबर का दिन इंजीनियर डे के रूप में मनाया जाता है, जिसे अभियन्ता दिवस भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भारत के महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था। जोकि एक बेहतरीन इंजीनियर थे। इन्होंने ही आधुनिक भारत की रचना की और भारत को नया रूप दिया। लेकिन आप में से बहुत कम लोग ये जानते होगें कि ये दिन धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों के अनुसार विश्वकर्मा के साथ जुड़ा है। उन्हें ही दुनिया के सबसे बड़े इंजीनियर माना जाता है। इसलिए लोग इनकी जंयती के दिन अपने कार्य स्थल पर भगवान विश्वकर्मा की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। आज हम आपको इससे जुड़ी कई जरूरी जानकारी और इससे जुड़ी कथी के बारे में बताने जा रहे हैं।
विश्वकर्मा की जन्मकथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि सृष्टि की शुरुआत में सबसे पहले विष्णु भगवान क्षीर सागर में शेषशय्या पर उत्पन्न हुए। श्रीनारायण की नाभि से निकले एक कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मा के पुत्र ‘धर्म’ तथा धर्म के पुत्र ‘वास्तुदेव’ हुए जो शिल्पशास्त्र के आदि प्रवर्तक थे। उन्हीं वास्तु देव की ‘अंगिरसी’ नामक पत्नी से विश्वकर्मा जी की उत्पत्ति हुई।
इन चीजों का किया निर्माण
भगवान विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में सभी राजधानियों का निर्माण विश्वकर्मा ने ही किया था। जिसमें स्वर्ग लोक, रावण की लंका, द्वारिका और हस्तिनापुर जैसे बड़े नगर भी शामिल हैं। इसी के साथ विश्वकर्मा ने ही इंद्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, पांडवपुरी, कुबेरपुरी, सुदामापुरी और शिवमंडलपुरी आदि का निर्माण भी किया था। यहां तक की पुष्पक विमान का निर्माण अथवा सभी देवों के भवन और अन्य जरूरी वस्तुएं भी इनके द्वारा ही निर्मित की गई मानी जाती है।