इन राशियों और बिजनैसमैन पर सदा रहती है शनि कृपा, हर डर मिटाते हैं ये मंत्र

Edited By ,Updated: 21 May, 2017 06:37 AM

erases every fear these shani mantras

शनि देव के गुरू महाकाल शिव हैं। काल भैरव, हनुमान जी और बाला जी इनके मित्र हैं। फलित ज्योतिष के अनुसार

शनि देव के गुरू महाकाल शिव हैं। काल भैरव, हनुमान जी और बाला जी इनके मित्र हैं। फलित ज्योतिष के अनुसार शनि को अशुभ ग्रह माना जाता है और नवग्रहों में इनका सातवां स्थान है। गुरू, शुक्र, राहू और बुध शनि के मित्र ग्रह हैं, वहीं वृषभ,मिथुन,कन्या और तुला इनकी मित्र राशि है। इनकी प्रिय राशि मकर एवं कुंभ है। तुला शनि की जहां उच्च राशि है वहीं मेष नीच राशि है। शनि का प्रिय नक्षत्र पुष्य अनुराधा, उत्तराभाद्रपद है। एक राशि पर शनि 30 मास तक रहता है। इनका स्वभाव एकांत, गम्भीर, दूरदर्शी, त्यागी-तपस्वी, न्यायकारी एवं स्पष्टभाषी हैं। क्रूरग्रह शनि के अधिष्ठाता देव प्रजापति ब्रह्मा है और प्रत्यधिदेव यम है। शनि जयंती की अमावस तिथि 25 मई को प्रात: 5 बजकर 07 मिनट से आरम्भ होकर 26 मई को 1 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। 


शनि अपनी मित्र राशि के जातकों पर सदा अपनी कृपा करते हैं। ऐसे लोग यदि लोहा इस्पात उद्योग, खनिज पैट्रोलियम, मशीनरी, चमड़ा, कोयला, ट्रासपोर्ट-ट्रैवल्स, मिल-फैक्ट्री, कारखाने या मैडिकल के क्षेत्र में कार्य करते हैं तो उन्हें अधिक लाभ मिलता है। हमारे जीवन में जन्म से मरण तक शनि का ही वर्चस्व रहता है। 


शनि चालीसा का पाठ करें तथा किसी भी शनि मंत्र का सच्चे मन से जाप अवश्य करें :

ओं शं शनैश्चराय नम:


सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय:, मंदचार प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु में शनि:


नीलांजन समाभासं रवि पुत्रां यमाग्रजं,छाया मार्तण्डसंभूतं तं नामामि शनैश्चरम, प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:


ओं शं शनैश्चराय नम:,ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया, कण्टकी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा, शं शनैश्चारय नम:


पिंगलो बभु कृष्णौ रौद्रान्तको यम:, सौरि शनैश्चरा मंद पिप्पलादेन संस्थित:, ओम शं शनैश्चराय नम:


वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com

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