हर महीने क्यों औरतों को भुगतनी पड़ती है मासिक पीड़ा, जानें रहस्य

Edited By Jyoti,Updated: 27 Dec, 2018 06:10 PM

every month why women have to suffer monthly disease

इतना तो सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में महिलाओं को बहुत उच्च दर्ज़ा प्राप्त है। इतना ही नहीं हिंदू धर्म में तो औरतों को देवी की तरह माना जाता है लेकिन इन सब के बावज़ूद भी महीने के कुछ ऐसे दिन होते हैं जब इन्हें अपवित्र माना जाता है

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इतना तो सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में महिलाओं को बहुत उच्च दर्ज़ा प्राप्त है। इतना ही नहीं हिंदू धर्म में तो औरतों को देवी की तरह माना जाता है लेकिन इन सब के बावज़ूद भी महीने के कुछ ऐसे दिन होते हैं जब इन्हें अपवित्र माना जाता है। इन दिनों के दौरान इन्हें इतना अपवित्र कहा गया है कि अगर इनके द्वारा किसी चीज़ को छू लिया जाए तो उसे भी अपवित्र मान लिया जाता है। रोज़ाना लोग जिन हाथों से बने खाने का स्वाद लेते हैं, तो क्यों महीने के 4-5 दिन के लिए उनके वहीं हाथ अछूत हो जाते हैं। मन में अक्सर ये सवाल उठता है कि आखिर महिलाओं को ही क्यों हर महीने इस शारीरिक पीड़ा को सहना पड़ता है. इसका कारण क्या है? एक तरफ जहां विज्ञान हर महीने महिलाओं के साथ होने वाली इस समस्या को सामान्य बताता है तो वहीं ग्रंथों में इस महिला की कमज़ोरी बताया गया है। तो चलिए आपको बताते हैं कि क्यों सिर्फ महिलाएं ही दर्द को झेलती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार महिलाओं की इस समस्या के सीधे ज़िम्मेदार देवराज इंद्र हैं। कहा जाता है कि उन्होंने खुद को ब्रह्महत्या के पाप से खुद को मुक्त करने के लिए महिलाओं को मासिक धर्म का श्राप दिया है।

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यहा जानें इसके पीछे की पूरी कहानी-
भागवत पुराण के अनुसार एक बार गुरु बृहस्पति इंद्रदेव से नाराज़ हो गए। जिसका फायदा उठाकर असुरों ने देव लोक पर धावा बोल दिया। फिर क्या था सभी देवता अपनी जान बचाने के लिए दोड़-भाग करने लगे। जिसको जहां जगह मिली वहां जाकर छिप गए। और जब इंद्रदेव की जान पर बात आई तो वे भी अपनी गद्दी छोड़कर भाग निकले। फिर गिरते-पड़ते अपनी जान बचाते हुए इंद्रदेव सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और ब्रह्मा जी से मदद मांगने लगे। इंद्र देव की ये हालत देखकर ब्रह्मदेव ने एक सुझाव दिया। उन्होंने कहा हे इंद्रदेव अगर तुम अपनी जान बचानी है और गद्दी असुरों के हाथ से छुड़ानी है तो तुम्हें एक ब्रह्मज्ञानी की सेवा करनी होगी। अगर तुमने अपनी सेवा से उन्हें खुश कर दिया तो तुम्हें स्वर्गलोक वापस मिल जाएगा। फिर क्या था इंद्र देव को न चाहते हुए भी एक ब्रह्मज्ञानी की सेवा में तत्पर हो गए लेकिन इंद्रदेव इस बात से अनजान थे कि जिसकी वे सेवा कर रहे थे वो ब्रह्मज्ञानी असुरों के कुल से था। उसकी माता एक असुर थीं। जिसकी वजह से उस ब्रह्मज्ञानी को असुरों से कुछ ज्यादा ही लगाव था। असुरों से लगाव के कारण वो ज्ञानी इंद्रदेव की सारी हवन सामग्री देवताओं के बजाय असुरों को अर्पित कर देते थे। जब इस बात का पता इंद्रदेव को लगा तो उन्होंने क्रोध में आकर उस ज्ञानी की हत्या कर दी। जिसकी वजह से उनपर ब्रह्महत्या का पाप लग गया। जिससे वे सदमे में आ गए। अब ये तो सब जानते ही हैं कि दूसरों का मज़ाक बनाने वाले को सज़ा तो ज़रूर मिलती है तो इंद्रदेव कैसे बचे रह सकते थे।

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देवलोक तो पहले से ही असुरों के हाथ में था जान भी बीच अधर में थी। उसके ऊपर ब्रह्महत्या का पाप। इतना सबकुछ एक साथ हो गया कि इंद्रदेव कुछ समझ ही नहीं पा रहे थे कि वे क्या करें। तब वे भगवान विष्णु की शरण में। तो भगवान विष्णु ने उन्हें सुझाव देते हुए कहा कि हे देवराज इसके लिए आपको पेड़, भूमि, जल और स्त्री में अपना थोड़ा-थोड़ा पाप बांटना होगा।साथ में सभी को एक-एक वरदान भी देना होगा।
 

भगवान विष्णु के कहे अनुसार देवराज इंद्र ने सबसे पहले पेड़ के पास जाकर उसे अपने श्राप का थोड़ा अंश लेने का अनुरोध किया। तब पेड़ में इंद्रदेव के पाप का एक चौथाई हिस्सा ले लिया। जिसके बदले में इंद्रदेव ने पेड़ को वरदान दिया कि मरने के बाद स्वयं ही पेड़ अपने आप को जीवित कर सकता है।
 

इसके बाद इंद्र के अनुरोध पर जल ने पाप का कुछ हिस्सा ले लिया बदले में इंद्रदेव ने वरदान के रूप में उसे अन्य वस्तुओं को पवित्र करने की शक्ति प्रदान की। इसी वजह से हिंदू धर्म में जल को पवित्र मानते हुए पूजा पाठ में इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह भूमि ने भी इंद्रदेव के पाप का कुछ अंश स्वीकार कर लिया, जिसके बदले में इंद्रदेव ने भूमि को वरदान दिया की उस पर आई चोटें अपने आप भर जाएगी।
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और आखिर में इंद्रदेव एक स्त्री के पास गए। और उनसे पाप का अंश लेने का अनुरोध किया। जिसके बाद स्त्री ने इंद्रदेव के पाप का बचा सारा अंश अपने ऊपर ले लिया। जिसके बाद ही महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म की पीड़ा सहनी पड़ती है। लेकिन इसके बदले में इंद्रदेव ने महिलाओं को वरदान दिया की महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा काम का आनंद ज्यादा ले पाएगी। और तभी से महिलाएं मासिक धर्म के रूप में ब्रहम हत्या का पाप झेल रही हैं। तो आपको बता दें कि यही कारण है जिस वजह से महिलाओं को मासिक धर्म का दर्द झेल पड़ता है।

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