Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Oct, 2018 12:03 PM
किसी गांव में रहने वाला एक भला आदमी बेकारी से दुखी था। यह देखकर चोर को उस पर दया आ गई। वह उस बेरोजगार आदमी के पास गया और बोला, ‘‘मेरे साथ चलो, चोरी में बहुत सारा धन मिलेगा।’’
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किसी गांव में रहने वाला एक भला आदमी बेकारी से दुखी था। यह देखकर चोर को उस पर दया आ गई। वह उस बेरोजगार आदमी के पास गया और बोला, ‘‘मेरे साथ चलो, चोरी में बहुत सारा धन मिलेगा।’’
आदमी बेकार बैठे-बैठे परेशान हो गया था इसलिए वह उस चोर के साथ चोरी करने को तैयार हो गया लेकिन अब समस्या यह थी कि उसे चोरी करनी आती नहीं थी। उसने साथी से कहा, ‘‘मुझे चोरी करनी आती तो नहीं है, फिर कैसे करूंगा?’’
चोर ने कहा, ‘‘तुम उसकी चिंता मत करो, मैं तुम्हें सब सिखा दूंगा।’’
अगले दिन दोनों रात के अंधेरे में गांव से दूर एक किसान का पका हुआ खेत काटने पहुंच गए। वह खेत गांव से दूर जंगल में था इसलिए वहां रात में कोई रखवाली के लिए आता-जाता न था लेकिन फिर भी सुरक्षा के लिहाज से उसने अपने नए साथी को खेत की मुंडेर पर रखवाली के लिए खड़ा कर दिया और किसी के आने पर आवाज़ लगाने को कहकर खुद खेत में फसल चोरी करने पहुंच गया।
नए साथी ने थोड़ी ही देर में अपने साथी को आवाज लगाई, ‘‘भाई जल्दी उठो, यहां से भाग चलो।’’ खेत का मालिक पास ही खड़ा देख रहा है।
चोर ने जैसे ही अपने साथी की बात सुनी वह फसल काटना छोड़ कर उठकर भागने लगा। कुछ दूर जाकर दोनों खड़े हुए तो चोर ने साथी से पूछा, ‘‘मालिक कहां खड़ा था? कैसे देख रहा था?’’
नए चोर ने सहजतापूर्वक जवाब दिया, ‘‘मित्र ! ईश्वर हर जगह मौजूद है। इस संसार में जो कुछ भी है उसी का है और वह सब कुछ देख रहा है। मेरी आत्मा ने कहा, ईश्वर यहां भी मौजूद है और हमें चोरी करते हुए देख रहा है। इस स्थिति में हमारा भागना ही उचित था।’’
पहले चोर पर बेरोजगार आदमी की बातों का इतना प्रभाव पड़ा कि उसने चोरी करना ही छोड़ दिया।
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