असफलता ही इंसान को सफलता का मार्ग दिखाती है

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 11:45 AM

failure is good for success

सभी के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब सभी चीजें आपके विरोध में हो रहीं हों और हर तरफ से निराशा मिल रही हो।चाहें आप एक प्रोग्रामर हैं या कुछ और, आप जीवन के उस मोड़ पर खड़े होता हैं

सभी के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब सभी चीजें आपके विरोध में हो रहीं हों और हर तरफ से निराशा मिल रही हो।चाहें आप एक प्रोग्रामर हैं या कुछ और, आप जीवन के उस मोड़ पर खड़े होता हैं जहां सब कुछ गलत हो रहा होता है। अब चाहे ये कोई सॉफ्टवेर हो सकता है जिसे सभी ने रिजैक्ट कर दिया हो, या आपका कोई फैसला हो सकता है जो बहुत ही भयानक साबित हुआ हो। लेकिन सही मायने में, विफलता सफलता से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। हमारे इतिहास में जितने भी बिजनैस मेन, साइंटिस्ट और महापुरुष हुए हैं वो जीवन में सफल बनने से पहले लगातार कई बार फेल हुए हैं। जब हम बहुत सारे काम कर रहे हों तो ये जरूरी नहीं कि सब कुछ सही ही होगा।

 

 

लेकिन अगर आप इस वजह से प्रयास करना छोड़ दें तो कभी सफल नहीं हो सकते। हेनरी फोर्ड, जो बिलियनेर और विश्वप्रसिद्ध फोर्ड मोटर कंपनी के मलिक हैं। सफल बनने से पहले फोर्ड पांच अन्य बिजनैस में फेल हुए थे। कोई और होता तो पांच बार अलग-अलग बिजनैस में फेल होने और कर्ज मे डूबने के कारण टूट जाता। फोर्ड ने ऐसा नहीं किया और आज वह एक बिलिनेअर कंपनी के मलिक हैं। अगर विफलता की बात करें तो थॉमस अल्वा एडिसन का नाम सबसे पहले आता है। लाइट बल्व बनाने से पहले उसने लगभग 1000 विफल प्रयोग किए थे। 

 

 

अल्बेर्ट आइनस्टाइन जो 4 साल की उम्र तक कुछ बोल नहीं पता था और 7 साल की उम्र तक निरक्षर था। लोग उसको दिमागी रूप से कमजोर मानते थे लेकिन अपनी थ्योरी और सिद्धांतों के बल पर वो दुनिया का सबसे बड़ा साइंटिस्ट बना। अब जरा सोचो कि अगर हेनरी फोर्ड पांच बिजनैस में फेल होने के बाद निराश होकर बैठ जाता, या एडिसन 999 असफल प्रयोग के बाद उम्मीद छोड़ देता और आइंस्टीन भी खुद को दिमागी कमजोर मान के बैठ जाता तो क्या होता?

 

 

हम बहुत सारी महान प्रतिभाओं और अविष्कारों से अंजान रह जाते। इसलिए असफलता सफलता से कहीं ज्यादा महत्व रखती है। असफलता ही इंसान को सफलता का मार्ग दिखाती है। किसी महापुरुष ने बात कही है कि, "जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते।" 

 


आज सभी लोग अपने भाग्य और परिस्थियों को कोसते हैं। अगर एडिसन भी खुद को अनलकी समझ कर प्रयास करना छोड़ देता तो दुनिया एक बहुत बड़े आविष्कार से वंचित रह जाती। आइंस्टीन भी अपने भाग्य और परिस्थियों को कोस सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अगर किसी काम में असफल हो भी गए हो तो क्या हुआ ये अंत तो नहीं है ना, फिर से कोशिश करो क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। असफलता तो सफलता की एक शुरुआत है, इससे घबराना नहीं चाहिए बल्कि पूरे जोश के साथ फिर से प्रयास करना चाहिए। 

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