Edited By Jyoti,Updated: 22 Apr, 2020 09:41 PM
देश में 12 ज्योतिर्लिंग है इस बार में तो सब जानते हैं मगर बहुत कम लोग जानते हैं इनके अलावा भी देश में ऐसे कईं धार्मिक स्थल हैं जहां पर सबसे अद्भुत शिवलिंग स्थापित हैं।
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देश में 12 ज्योतिर्लिंग है इस बार में तो सब जानते हैं मगर बहुत कम लोग जानते हैं इनके अलावा भी देश में ऐसे कईं धार्मिक स्थल हैं जहां पर सबसे अद्भुत शिवलिंग स्थापित हैं। आज हम आपको ऐसे ही शिवलिंगों के बारे में बताएंगे जो बहुत ही प्रसिद्ध है। कहा जाता है इन शिव मंदिरों को 12 ज्योर्तिंलिंगों की तरह ही पूरी दुनिया में इनकी अनोखी संरचना के कारण जाने जाते हैं। इनमें कोई एशिया का तो कोई दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग है। वहीं कुछ ऐसे भी शिवलिंग हैं जिनका क्षेत्रफल दुनिया के शिव मंदिरों में सबसे ज्यादा है। जबकि कुछ जगह एक ही मंदिर की परिसर में सैंकड़ों शिवलिंग व मंदिर हैं। तो चलिए आपकी उत्सुक्ता को और न बढ़ाते हुए बताते हैं इनमें से कुछ प्राचीन मंदिरों के बारे में-
अर्जुनधारा धाम:
बताया जाता है कि नेपाल के अर्जुनधारा में दुनिया में स्थापित विशाल शिवलिंगों में से एक शिवलिंग स्थापित है। हालांकि कहा जाता है इस शिवलिंग का कोई पुरातत्वविक इतिहास नहीं है परंतु इससे जुड़ी हैरान कर देने वाली बात ये है कि मंदिर परिसर में स्थापित शिवलिंग की ऊंचाई 151 फीट है। यहां की लोक मान्यता के अनुसार वर्ष 2015 में नेपाल में आए भूकंप में मंदिर के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हुए लेकिन शिवलिंग ज्यों का त्यों बना हुआ है।
कोटिलिंगेश्वर धाम:
कर्नाटक के कोलार जिले के काम्मासांदरा गांव में बना कोटिलिंगेश्वर धाम है, जहां स्थापित शिवलिंग की ऊंचाई 108 फीट है। बताया जाता है मंदिर के चारों ओर करीब 1 करोड़ छोटे-छोटे शिवलिंग स्थापित किए गए हैं। तो वहीं शिवलिंग के पास 35 फीट ऊंचाई वाले नंदी, 4 फीट ऊंचे और 40 फुट चौड़े चबूतरे पर स्थापित हैं।
भोजपुर शिव मंदिर:
बताया जाता है भोपाल से 30 किमी. दूर रायसेन जिले मे स्थित भोजपुर में सबसे प्राचीन शिव मंदिर स्थित है जिसे भारतीय पुरातत्व का अनोखा नमूना भी माना जाता है। कहा जाता है कि इसकी सबसे सबसे खास बात ये कि यहां का शिवलिंग पानल सहित एक ही चट्टान से बना है, जिसकी ऊंचाई 22 फीट है। यहां 17 फीट उंचे चबूतरे पर मंदिर का निर्माण किया गया है। तो वहीं इस शिव मंदिर की ऊंचाई 106 फीट और चौड़ाई 77 फीट है। लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण राजा भोज ने एक ही रात में करवाया था। परंतु किसी कारण वश वो इसे पूरा नही करवा पाए थे जिस कारण आज भी मंदिर का कुछ हिस्सा अधूरा है।