Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Mar, 2019 08:19 AM
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला होली का पर्व, बसंत का संदेशवाहक तथा भारतीय संस्कृति में सर्वाधिक लोकप्रिय त्यौहार है। होली पर्व को फाल्गुनी के नाम से भी संबोधित किया जाता है,
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फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला होली का पर्व, बसंत का संदेशवाहक तथा भारतीय संस्कृति में सर्वाधिक लोकप्रिय त्यौहार है। होली पर्व को फाल्गुनी के नाम से भी संबोधित किया जाता है, जिसका अर्थ है फाल्गुन मास की पूर्णिमा। भारत में पाई जाने वाली छ: ऋतुओं में बसंत ऋतु को ऋतुराज कहा गया है। भगवान श्री कृष्ण गीता जी में स्वयं कहते हैं ‘‘अहम् ऋतूनां कुसुमाकर:।’’ ऋतुओं में बसंत मैं हूं।
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जब शीत ऋतु में जड़त्व को प्राप्त हुई प्रकृति बसंत ऋतु में प्रवेश करती है, तब प्रकृति का सौंदर्य अकस्मात बढ़ जाता है। मादकता से पूर्ण प्रकृति अपने यौवन की चरम अवस्था पर होती है। प्रकृति का माधुर्य सबको आनंद प्रदान करता है। होली पर्व है ही अपने उस आनंद को प्रकट करने का। खेतों में गेहूं की बालियां भी अपनी परिपक्व अवस्था में पहुंच कर लहलहाने लगती हैं।
भारत में होली का पर्व पूरे देश में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है परंतु ब्रज की होली विश्व प्रसिद्ध है, बरसाने की लठमार होली सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र होती है। नंदगांव, जहां भगवान श्री कृष्ण का लालन-पालन हुआ, से ग्वाल बाल तथा पुरुष राधा रानी के गांव बरसाने जाते हैं। उसके पश्चात नंदगांव के पुरुष होली खेलने बरसाना जाते हैं। इस होली को देखने देश-विदेश से लोग बरसाना आते हैं।
हमारे साहित्य में भी होली को विशिष्ट पर्व के रूप में स्थान प्राप्त हुआ है, जिसमें होली तथा फाल्गुन मास को विशेष महत्व दिया गया है, कवियों ने भगवान श्री कृष्ण और राधा जी के बीच खेली गई होली को सगुण, साकार, भक्तिमय प्रेमरस के रूप में रचनाएं लिखीं।
भारतीय शास्त्रीय संगीत में भी होली पर्व के ऊपर रचित अनेक रचनाओं का प्रस्तुतिकरण होता है। महाकवि सूरदास जी ने तो बसंत एवं होली पर 78 पदों की रचना की।
भगवान ने अपने भक्तों को आनंद प्रदान करने के लिए स्वयं निराकार से साकार रूप में प्रकट होकर वृंदावन में अपने सखाओं के साथ होली खेली और ब्रज की भूमि पर इस पवित्र त्यौहार को स्थापित कर इसे गरिमामय स्थान दिया।
होली भारत वर्ष की गौरवमयी गाथा का पर्व है जो व्यक्तिगत ईर्ष्या, द्वेष, शत्रुता को भुलाकर, सारी मानव जाति को प्रेम, सद्भावना, गर्मजोशी तथा सामाजिक पहचान, सदगुणों को ग्रहण करना तथा दुर्गुणों को परित्याग करने का संदेश देता है।
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