Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Dec, 2017 02:28 PM
एक व्यक्ति ने भगवान बुद्ध से पूछा, ‘‘जीवन का मूल्य क्या है?’’
बुद्ध ने उसे एक चमकता पत्थर दिया और कहा, ‘‘इसका मूल्य पता करके आओ लेकिन ध्यान रखना इसको बेचना नहीं है।’’
वह व्यक्ति बाजार में एक
एक व्यक्ति ने भगवान बुद्ध से पूछा, ‘‘जीवन का मूल्य क्या है?’’
बुद्ध ने उसे एक चमकता पत्थर दिया और कहा, ‘‘इसका मूल्य पता करके आओ लेकिन ध्यान रखना इसको बेचना नहीं है।’’
वह व्यक्ति बाजार में एक संतरे वाले के पास गया और उसे पत्थर दिखाते हुए उसकी कीमत पूछी। संतरे वाले ने कहा, ‘‘12 संतरे ले जा और यह मुझे दे दे।’’
आगे एक सब्जी वाले ने उस पत्थर की कीमत एक बोरी आलू लगाई। इसके बाद वह एक सोना बेचने वाले के पास गया उसे पत्थर दिखाया तो उसने झट कहा, ‘‘50 लाख में मुझे बेच दे।’’
उसने मना कर दिया तो सुनार बोला, ‘‘2 करोड़ में दे दे या बता इसकी कीमत, जो मांगेगा वह दूंगा तुझे।’’
उस आदमी ने सुनार से कहा, ‘‘मेरे गुरु ने इसे बेचने से मना किया है।’’
आगे वह हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया। जौहरी ने जब उस बेशकीमती रूबी को देखा तो पहले उसने उसके पास एक लाल कपड़ा बिछाया, फिर उस बेशकीमती रूबी की परिक्रमा लगाई, माथा टेका। फिर जौहरी बोला, ‘‘कहां से लाया है यह बेशकीमती रूबी, सारी कायनात, सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती।’’
वह आदमी हैरान-परेशान सीधे बुद्ध के पास आया। उन्हें पूरी कहानी सुनाई और बोला, ‘‘अब बताओ भगवान, मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?’’
बुद्ध बोले, ‘‘संतरे वाले ने इस पत्थर की कीमत 12 संतरे बताई, सब्जी वाले ने 1 बोरी आलू, सुनार ने 2 करोड़ रुपए और जौहरी ने इसे ‘बेशकीमती’ माना। ठीक यही स्थिति तुम्हारे जीवन की भी है। तू बेशक हीरा है लेकिन ध्यान रखना कि सामने वाला तेरी कीमत अपनी औकात, अपनी जानकारी और अपनी समझ से ही लगाएगा। जीवन का मूल्य समझ आने के बाद उसने महात्मा बुद्ध को प्रणाम किया और चुपचाप वहां से चल दिया।’’