Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 May, 2020 09:50 AM
गुलाब का फूल पूरे उपवन में अपनी खूबसूरती और खुशबू के लिए विख्यात था। जो भी उसके पास से गुजरता, उसे एकटक निहारे बिना नहीं रह पाता। उसकी खुशबू ऐसी कि लोग अपनी सुध-बुध भूल जाएं।
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गुलाब का फूल पूरे उपवन में अपनी खूबसूरती और खुशबू के लिए विख्यात था। जो भी उसके पास से गुजरता, उसे एकटक निहारे बिना नहीं रह पाता। उसकी खुशबू ऐसी कि लोग अपनी सुध-बुध भूल जाएं। उसकी खुशबू और खूबसूरती से प्रभावित होकर लोग इन फूलों को तोड़कर अपने साथ ले जाने लगे। इससे बेचारा गुलाब बेहद दुखी रहने लगा। उसकी शाखाओं पर लगने वाले उसके दूसरे साथी निरंतर घटते जा रहे थे और वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा था। आखिरकार गुलाब अपनी परेशानी लेकर एक जानकार शख्स के पास पहुंचा।
उस शख्स ने गुलाब की समस्या को ध्यान से सुना। इसके बाद उसने गुलाब से कहा, ‘इस दुनिया की रीत यही है कि जो आपके साथ जैसा व्यवहार करता है, उसके साथ आपको भी वैसा ही व्यवहार करना चाहिए। यदि तुमने ऐसी नहीं किया तो यह संसार तुम्हारा अस्तित्व मिटा देगा।’
गुलाब ने उस व्यक्ति की सलाह गांठ बांध ली। लौटकर आने के बाद उसने अपनी सुरक्षा के लिए अपनी डालियों पर कांटे पैदा करने शुरू कर दिए। अब जो कोई भी उसकी ओर हाथ बढ़ाता, उसे वह कांटों से छलनी कर देता। इससे लोगों का उसकी ओर आना कम हो गया।
कुछ दिनों बाद गुलाब को एक साधु से सत्संग का भी अवसर मिल गया। साधु ने उसे बताया, ‘यदि अपने जरिए किसी का भला होता है तो उससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। परोपकार में अपने जीवन को खपाने वाले से बढ़कर सम्मानीय दुनिया में और कोई नहीं होता।’
गुलाब को अपनी गलती का अहसास हो गया। अब उसे दोबारा माहौल में अपनी खूबसूरती और सुवास बिखेरने में खुशी मिलने लगी। आज गुलाब ने दुनिया में जो सम्मान पाया है वह कांटों के बल पर नहीं, वरन अपने पुष्पों के सौंदर्य-सौरभ के बल पर अर्जित किया है।