इस वजह से शनिदेव को भी भोगना पड़ा दंड

Edited By Lata,Updated: 16 Feb, 2019 05:31 PM

for this reason shani dev had to suffered from the curse

शनिदेव को एक क्रूर ग्रह के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना गया है कि इनकी दृष्टि विनाशकारी है। लेकिन शास्त्रों में शनि को न्याय प्रिय देवता बताया गया है।

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शनिदेव को एक क्रूर ग्रह के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना गया है कि इनकी दृष्टि विनाशकारी है। लेकिन शास्त्रों में शनि को न्याय प्रिय देवता बताया गया है। मान्‍यता है कि शन‍िदेव किसी भी तरह के अन्‍याय या गलत बात को बर्दाश्‍त नहीं करते और ऐसा करने वाले को उनके गुस्‍से का श‍िकार होना पड़ता है। लेकिन क्या किसी को ये पता है कि शनिदेव को खुद भी एक बार हनुमान जी के क्रोध का सामना करना पड़ा था। अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे एक ऐसी ही कथा के बारे में-
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आनंद रामायण में शनिदेव के घमंड के बारे में एक प्रसंग आता है कि बहुत समय पहले शनिदेव ने लंबे समय तक भगवान शिव की तपस्या की और उनके तप से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें वर मांगने को कहा। शनिदेव बोले, "हे भोलेनाथ इस सृष्टि में कर्म के आधार पर दंड देने की व्यवस्था नहीं है। इसके कारण मनुष्य ही नहीं, बल्कि देवता तक भी अपनी मनमानी करते हैं। अतः मुझे ऐसी शक्ति प्रदान करें ताकि में लोगों को दंड दे सकूं।" भगवान ने भी शनिदेव के इसका वर शनिदेव को दे दिया और उन्हें दंडाधिकारी नियुक्त कर दिया। वरदान पाकर शनिदेव घूम-घूम कर ईमानदारी से कर्म के आधार पर लोगों को दंडित करने लगे। वह अच्छे कर्म पर अच्छा और बुरे कर्मों पर बुरे कर्म पर बुरा परिणाम देते। कुछ समय बाद शनि को अपनी इस बात को लेकर अहंकार हो गया और वे खुद को शक्तिशाली समझने लगे।
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एक बार वानर सेना की सहायता से सेतु बांध बनाया और उसकी जिम्मेदारी उन्होंने हनुमानजी को सौंपी। शनिदेव जब भ्रमण के लिए निकले तो सेतु के पास ही हनुमान जी को ध्यानमग्न देखा। तब शनि ने हनुमान का ध्यान भंग करने की कोशिश की तो हनुमान को कोई फर्क नहीं पड़ा इस बात से शनिदेव को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने हनुमान जी को चुनौती दे दी। इस बात को सुनकर हनुमान जी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने शनि को अपनी पूंछ में लपेटकर पत्थर पर पटकना शुरू कर दिया, जिससे शनिदेव लहूलुहान हो गए। जब शनि को इस बात का एहसास हुआ कि उन्होंने हनुमानजी को को चुनौती देकर बहुत बड़ी गलती की तो उन्होंने हनुमान जी से माफी मांगी तभी बजरंगबली ने उन्हें छोड़ा। कुछ समय बाद हनुमान जी ने देखा कि शनिदेव के अंग-अंग में दर्द हो रहा है तो उनको शनि पर दया आई और उन्होंने तेल देते हुए कहा कि इस तेल को लगाने से तुम्हारी पीड़ा दूर हो जाएगी और तभी से शनिदेव को तेल भी अर्पित किया जाने लगा।
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