गणेश चतुर्थीः यहां जानें, स्वास्तिक बनाने के नियम और फायदे

Edited By Lata,Updated: 03 Sep, 2019 05:50 PM

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गणेश चतुर्थी की धूम बहुत जगहों पर देखने को मिल रही है। बहुत से घरों व पंडालों में गणेश स्थापना हुई है। बता दें यह पर्व 10 दिनों तक चलता है

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गणेश चतुर्थी की धूम बहुत जगहों पर देखने को मिल रही है। बहुत से घरों व पंडालों में गणेश स्थापना हुई है। बता दें यह पर्व 10 दिनों तक चलता है और उसके बाद गणपति जी को किसी पवित्र नदी में विसर्जित किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर शुभ काम को शुरू करने से पहले गणेश जी का स्वास्तिक चिन्ह बनता है। क्योंकि गणेश जी प्रथम पूज्नीय देव हैं इसलिए पूजन से पहले स्वास्तिक चिन्ह बनाने की परंपरा है। लेकिन उसको बनाने का नियम शायद ही कोई जानता होगा। इसलिए आज हम आपको स्वास्तिक चिन्ह के फायदे व उनके नियमों के बारे में बताएंगे। 
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पूजन से पहले स्वास्तिक बनाने से धर्म कर्म के कार्य सफल हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती है। स्वास्तिक चिन्ह का काफी महत्व है और इसको सही तरह से बनाने से ही पूजा सफल होती है। 

स्वास्तिक सीधा और सूुंदर होना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान दें कि स्वास्तिक कभी भी उल्टा न बनाया जाए। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार उल्टा स्वास्तिक भी बनाया जाता है परंतु ऐसा सिर्फ किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है। 
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घर पर स्वास्तिक बनाने से पहले घर में साफ़-सफाई कर ले। जहां पर स्वास्तिक चिन्ह बनाना हो वह स्थान पवित्र होना चाहिए। वहां पर साफ़-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। 
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मान्यता है कि स्वास्तिक अपनी तरफ दैवीय शक्तियों और सकारात्मक ऊर्जा को खींचता है। वास्तु दोष को दूर करता है इसलिए घर के मुख्य द्वार पर भी स्वास्तिक का निशान बनाना चाहिए।

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