Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Feb, 2020 07:40 AM
आज 12 फरवरी फाल्गुन मास की चतुर्थी तिथि है। वैसे तो हर महीने ये दिन कृृष्ण पक्ष में आता है लेकिन आज बुधवार होने से इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। वैसे तो इस दिन व्रत रखने का विधान है। ये व्रत संतान और परिवार की रक्षा के लिए
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आज 12 फरवरी फाल्गुन मास की चतुर्थी तिथि है। वैसे तो हर महीने ये दिन कृृष्ण पक्ष में आता है लेकिन आज बुधवार होने से इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। वैसे तो इस दिन व्रत रखने का विधान है। ये व्रत संतान और परिवार की रक्षा के लिए अधिकतर महिलाएं करती हैं। यदि आप व्रत नहीं रख सकते तो संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा सुनें और सारा परिवार मिलकर गणेश जी की आरती करें। 21 लड्डुओं का भोग लगाकर उनमें से 5 लड्डू गाय माता को खिला दें। बाकी प्रसाद स्वरूप बांट दें। मान्यता है की इस शुभ दिन जो भी भक्त ये काम करता है, बप्पा उसकी हर आस पूरी करते हैं।
तन, मन और धन के दोषों से मुक्ति के लिए रात को चंद्र दर्शन कर विधिपूर्वक आह्वाहन और आचमन करने के बाद ये मंत्र बोलते हुए पंचामृत से अर्घ्य दें- 'ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात॥'
घर का मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में हो तो श्रेष्ठ रहता है लेकिन ऐसा न हो तो घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक, श्री गणेश का चिह्न या हनुमान जी की तस्वीर लगानी चाहिए। ऐसा आज के शुभ दिन पर जरुर करें, इससे कोई भी नकारात्मक शक्ति या ऊपरी हवा आपके घर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाएगी।
घर का द्वार यदि वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित करें। मंत्र से अभिमंत्रित कर पंख के नीचे गणपति भगवान का चित्र या छोटी प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। मंत्र है- ॐ द्वारपालाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा’।
घर के आसपास हरी दूब उगाई गई हो, तो गणेश जी की प्रतिमा पर थोड़ी हरी दूब चढ़ाने से वास्तु दोष दूर होता है। संभव हो तो ये उपाय हर रोज़ करें।
गणपति का दर्शन करने से पहले रखें ध्यान
देवों में प्रथमपूज्य गणेश जी की पूजा करते समय ध्यान रखें कि कभी उनकी पीठ का दर्शन न करें। गणपति ऐसे देव हैं जिनके शरीर के अवयवों पर संपूर्ण ब्रह्मांड का वास होता है। चारों वेद और उनकी ऋचाएं होती हैं इसलिए गणपति की पूजा सदा आगे से करनी चाहिए। उनकी परिक्रमा लें लेकिन पीठ के दर्शन नहीं करें। गणपति की सूंड पर धर्म का वास है। नाभि में जगत वास करता है। उनके नयनों में लक्ष्य, कानों में ऋचाएं और मस्तक पर ब्रह्मलोक का वास है हाथों में अन्न और धन, पेट में समृद्धि और पीठ पर दरिद्रता का वास है। इसलिए, पीठ के दर्शन कभी नहीं करने चाहिए।