अत्यंत मंगलकारी है बप्पा का ये रूप, जानिए इसकी खासियत?

Edited By Jyoti,Updated: 10 Sep, 2021 03:41 PM

ganesh chaturthi 2021

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गणेश जी के 8 रूपों को मंगलकारी माना गया है, तो वहीं इन रूपो की पूजा से भी जातक को कई तरह के लाभ प्राप्त हो रहे हैं। यूं तो गणपति की आराधना हिंदू धर्म

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धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गणेश जी के 8 रूपों को मंगलकारी माना गया है, तो वहीं इन रूपो की पूजा से भी जातक को कई तरह के लाभ प्राप्त हो रहे हैं। यूं तो गणपति की आराधना हिंदू धर्म के प्रत्येक  मांगलिक व धार्मिक कार्य में गणेश जी की आराधना की जाती है। क्योंकि धार्मिक किंवदंतियों के अनुसार इन्हें सर्वप्रथम पूज्य देवता का वरदान प्राप्त है। परंतु इनकी पूजा अधिक लाभदायत हो जाती है जब भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आती है तो विध्नहर्ता गणेश जी की आराधना अधिक लाभदायक व पुण्यदायी हो जाती है। बता दें 10 सितंबर यानि आज से गणेश उत्सव का आगाज़ हो चुका है, जो 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी को समाप्त होगा। कहा जाता है इस दौरान गणपति के विभिन्न रूपों की पूजा काफी लाभकारी मानी जाती है। यही कारण है कि लोग इनके विभिन्न रूपों की पूजा की जाती हैै। परंतु इनमें से बप्पा का कौन से रूप की पूजा अधिक मंगलकारी मानी जाती है, इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। तो आइए जानते हैं- 

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार यूं तो कई गणेश जी के कई अवतार हुए हैं परंतु आठ अवतार ज्यादा प्रसिद्ध हैं जिन्हें अष्ट विनायक कहते हैं, इनमें शामिल हैं महोत्कट विनायक, मयूरेश्वर विनायक, गजानन विनायक, गजमुख विनायक, मयुरेश्वर विनायक, सिद्धि विनायक, बल्लालेशवर विनायक तथा वरद विनायक। इसके अतिरिक्त चिंतामन गणपति, गिरजात्म गणपति, विघ्नेश्वर गणपति, महा गणपति आदि कई रूप हैं।

कहा जाता है उक्त रूपों में सबसे अत्यंत सिद्धि विनायक को सबसे मंगलकारी माना गया है। कथाओं के अनुसार सिद्धटेक नामक पर्वत पर इनका प्राकट्य होने के कारण इनको सिद्धि विनायक कहा जाता है। मान्यता है कि एक मात्र सिद्धि विनायक की उपासना से जातक को जीवन के हर संकट और बाधा से तुरंत ही राहत मिल जाती है।

प्रचलित कथाओं के अनुसार कहते हैं कि सृष्टि निर्माण के पूर्व सिद्धटेक पर्वत पर भगवान विष्णु ने इनकी उपासना की थी। इनकी उपासना के उपरांत ब्रह्माजी सृष्टि की रचना बिना विघ्न के कर पाए। यही विघ्‍न हरता भी हैं।

इनके स्वरूप की बात करें इनका यह स्वरूप चतुर्भुजी है और इनके साथ इनकी पत्नियां रिद्धि सिद्धि भी विराजमान हैं। सिद्धि विनायक के ऊपर के हाथों में कमल एवं अंकुश और नीचे के एक हाथ में मोतियों की माला और एक हाथ में मोदक से भरा पात्र होता है। 

कहा जाता है कि सिद्धि विनायक की पूजा से जीवन के विघ्न समाप्त होते हैं और हर तरह के कर्ज से भी छुटकारा मिलता है। तो वहीं इनकी आराधना से घर परिवार में सुख, समृद्धि और शांति स्थापित होती है तथा जिन लोगों को संतान की प्राप्ति नहीं होती, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। 

यहां जानें सिद्धि विनायक के मंत्र- 

"ॐ सिद्धिविनायक नमो नमः"

"ॐ नमो सिद्धिविनायक सर्वकार्यकत्रयी सर्वविघ्नप्रशामण्य 
सर्वराज्यवश्याकारण्य सर्वज्ञानसर्व स्त्रीपुरुषाकारषण्य"

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