Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Sep, 2018 10:53 AM
गणपति बप्पा मोरिया...मंगल मूर्ति मोरिया...का जयघोष, मोदक की खुशबू और श्री गणपति आरती, भजनों का भक्तिमय संगीत एवं नृत्य मानों पूरे वातावरण में गणपति जी के आगमन का संदेश देता नजर आता है।
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गणपति बप्पा मोरिया...मंगल मूर्ति मोरिया...का जयघोष, मोदक की खुशबू और श्री गणपति आरती, भजनों का भक्तिमय संगीत एवं नृत्य मानों पूरे वातावरण में गणपति जी के आगमन का संदेश देता नजर आता है। गणपति स्थापना का उत्सव भले ही महाराष्ट्र से संबंधित हो, परंतु बॉलीवुड की देखादेखी आज गणपति गैर-महाराष्ट्रीयन परिवारों में भी न केवल स्थापित किए जाने लगे हैं बल्कि परिवार में आए किसी खास मेहमान के रूप में ही उनकी 10 दिन तक कई तरह के मोदक बना कर एवं पकवान बना कर विशेष खातिरदारी की जाती है। यहां तक कि घर को विशेष रूप से सजाया जाता है तथा पूजा घर को भी नया रूप दिया जाता है।
हर मांगलिक कार्य में सबसे पहले श्री गणेश की पूजा करने का विधान है। कोई भी पूजा अर्चना, देव पूजन, यज्ञ, हवन, गृह प्रवेश, विद्यारंभ, अनुष्ठान हो सबसे पहले गणेश वंदना ही की जाती है ताकि हर कार्य बिना किसी विध्न के समाप्त हो जाए। गणेश चतुर्थी की रात गणपति जी की आरती से पूर्व गणेश स्तोत्र या गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें। नीची नजर करके चंद्रमा को अर्ध्य दें, इस मंत्र का जाप कर सकते हैं-
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:! निर्विघ्न कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा !!
इसके अलावा ‘ओम् गं गणपत्ये नम:’ मंत्र गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए ही काफी है।
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