Edited By Jyoti,Updated: 03 Sep, 2019 11:48 AM
गणेश उत्सव की शुरुआत होती है गणपति के जयकारों की गूंज पूरे देश में फैल जाती है। इस दौरान गौरी के ललना यानि भगवान गणेश 10 दिन के लिए अपने भक्तो के घरों में पधारते हैं और उन पर अपनी अंपरपार कृपा बरसाते हैं।
ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
गणपति बप्पा मोरया मंगलमूर्ति मोरया
विघ्ननाशक मोरया जय भुबनेश्वर मोरया
गणेश उत्सव की शुरुआत होती है गणपति के जयकारों की गूंज पूरे देश में फैल जाती है। इस दौरान गौरी के ललना यानि भगवान गणेश 10 दिन के लिए अपने भक्तो के घरों में पधारते हैं और उन पर अपनी अंपरपार कृपा बरसाते हैं। इनके भक्त भी इनके स्वागत में किसी तरह की कोई कमी नहीं रखते। पूरे हर्षो-उल्लास के साथ इनके आगमन पर बप्पा का स्वागत करते हैं। अपने भक्तों की इस प्रेम भरी भावना का सम्मान करते हुए विघ्नहर्ता गणेश भी इन पर भर भर कर अपना आशीर्वाद लुटाते हैं। मगर कई बार जाने-अनजाने में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिस कारण हमें इनकी पूजा का फल नहीं मिलता। तो अगर आपके साथ भी ऐसा है तो आपके द्वारा किए गए कुछ उपाय लाभदायक हो सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर इन उपायों से भगवान गणेश प्रसन्न हो जाएं तो व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। तो आइए जानें ये उपाय-
घर में गजानन की मूर्ति स्थापित नहीं कर सकते तो पूजा स्थान पर एक सुपारी रखकर उसकी पूजा करें और पूजा करने के बाद इस सुपारी को लाल कपड़े में बांध कर तिज़ोरी में रख दें। मान्यता है ऐसा करने से जीवन में धन संबंधी समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
जिस जातक के घर के अन्य सदस्यों की तरक्की में आ रही रुकावट को दूर करने के लिए घर के पूर्व और उत्तर दिशा में सुपारी रख दें। ध्यान रखें कि सुपारी चांदी के किसी पात्र में ही रखें। फिर इसकी हर दिन पूजा करें। ऐसा करने से सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी।
हर तरह की मुराद पूरी करने के लिए गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की दाईं सूंड वाली प्रतिमा की पूजा करें और 5 सुपारी अर्पित कर दीजिए।
कामकाज में सफलता पाने के लिए श्री गणेश के सामने दो इलायची और दो सुपारी रख कर पूजा करें। इसके अलावा जब भी आप विशेष कार्य से बाहर जाएं तो अर्पित की गई इलायची और सुपारी जेब में रख लें।
सोई हुई किस्मत को जगाने के लिए भगवान गणेश के चरणों में एक सुपारी रख दीजिए और लक्ष्मी विनायक मंत्र का जाप करें।
लक्ष्मी विनायक मंत्र
ॐ श्री गं सौम्याय गणपतये वरवरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।।