श्री गणेश चतुर्थी व्रत: इन तीन श्लोकों का पाठ करने वाला भोगता है राजसी ठाठ-बाठ

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Sep, 2019 07:36 AM

ganesh chaturthi vrat 2019

आज आश्वनी कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि पर श्री गणेश चतुर्थी व्रत का पर्व मनाया जा रहा है। बप्पा के विसर्जन उपरांत आज गणेश जी का प्रिय दिन पुन: आया है। वैसे तो आज के दिन सुबह स्नान आदि से

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आज आश्वनी कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि पर श्री गणेश चतुर्थी व्रत का पर्व मनाया जा रहा है। बप्पा के विसर्जन उपरांत आज गणेश जी का प्रिय दिन पुन: आया है। वैसे तो आज के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर व्रत रखना चाहिए। संभव न हो तो सुबह और शाम के वक्त गणेश जी को फल, फूल, अक्षत, रौली और मौली अर्पित करने के बाद मोदक का भोग लगाएं। ध्यान रखें पूजा करते वक्त आपका मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। भगवान गणेश की पूजा करने के बाद इस गणेश स्तुति का पाठ करें।

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प्रात: स्मरामि गणनाथमनाथ बन्धुं सिन्दूर पूरपरिशोभितगंडयुग्मम। उद्दंडविघ्नपरिखंडनचंडदंड माखंडलादिसुरनायकवृंदवन्द्यम॥
जो इंद्र आदि देवेश्वरों के समूह से वंदनीय हैं, अनाथों के बंधु हैं, जिनके युगल कपोल सिंदूर राशि से अनुरंजित हैं, जो उद्दंड (प्रबल) विघ्नों का खंडन करने के लिए प्रचंड दंड स्वरूप हैं, उन श्री गणेश जी को मैं प्रात:काल स्मरण करता हूं।

प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम। तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय॥
जो ब्रह्मा से वंदनीय हैं, अपने सेवक को उसकी इच्छा के अनुकूल पूर्ण वरदान देने वाले हैं, तुंदिल हैं, सर्प ही जिनका यज्ञोपवीत है, उन क्रीड़ा कुशल शिव-पार्वती के पुत्र (श्री गणेश जी) को मैं कल्याण प्राप्ति के लिए प्रात:काल नमस्कार करता हूं।

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प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुञ्जरास्यम। अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहुमुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य॥
जो अपने जन को अभय प्रदान करने वाले हैं, भक्तों के शोक रूप वन के लिए दावानल (वनाग्नि) हैं, गणों के नायक हैं, जिनका मुख हाथी के समान और सुंदर है और जो अज्ञानरूप वन को नष्ट करने (जलाने) के लिए अग्रि हैं, उन उत्साह बढ़ाने वाले शिव सुत (श्री गणेश जी) को मैं प्रात: भजता हूं।

शकत्रयमिदं पुण्यं सदा साम्राज्यदायकम। प्रातरुत्थाय सततं य: पठेत्प्रयत: पुमान॥
जो पुरुष प्रात: समय उठकर संयत चित्त से इन तीनों पवित्र श्लोकों का नित्य पाठ करता है, उसको यह स्रोत सर्वदा साम्राज्य के समान सुख देता है।

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