Vinayaka chaturthi: भगवान शिव के मुख से जानें गणेश पूजा के लाभ

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Jun, 2020 07:09 AM

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सर्वविदित है कि हिंदू धर्म में किसी भी पूजा में सर्वप्रथम श्रीगणेश की पूजा का विधान है। शास्त्रों में विधिपूर्वक बताया गया है कि भगवान श्रीगणेश के पूजन के बगैर किसी भी देवी या देवता का पूजन

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Vinayaka chaturthi: सर्वविदित है कि हिंदू धर्म में किसी भी पूजा में सर्वप्रथम श्रीगणेश की पूजा का विधान है। शास्त्रों में विधिपूर्वक बताया गया है कि भगवान श्रीगणेश के पूजन के बगैर किसी भी देवी या देवता का पूजन करने से लाभ न के बराबर मिलता है। ऐसी मान्यता है कि महादेव के त्रिशूल से पार्वती नंदन श्रीगणेश का मस्तक जब कट गया तब देवी शिवा क्रोधित हो गईं तथा उन्होंने अनेक शक्तियों को उत्पन्न करके प्रलय मचाने की आज्ञा दे दी। उन परम तेजस्वी शक्तियों ने सर्वत्र संहार करना प्रारंभ किया। देवगण हाहाकार करने लगे। तब शिव जी के आदेश से देवताओं ने हाथी का सिर लाकर शिवा पुत्र के धड़ से जोड़ दिया। महेश्वर के तेज से पार्वती का प्रिय पुत्र जीवित हो गया। 

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भगवान शिव एवं देवी पार्वती के साथ ही समस्त देवगण ने पार्वतीनंदन श्रीगणेश को आशीर्वाद स्वरूप अनेक वरदान प्रदान किए।

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भगवान शिव ने श्रीगणेश को विघ्न विनाशक के रूप में अध्यक्ष घोषित कर दिया। तभी से पूजा में श्रीगणेश की पूजा सबसे पहले  की जाती है अर्थात किसी भी देवी-देवता की पूजा से पहले श्रीगणेश की पूजा यदि न की जाए तो देवी-देवता के पूजन से लाभ प्राप्त नहीं होता।

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भगवान शिव चारों ओर विराजमान हैं। महादेव ने भक्तिपूर्वक गजमुख को प्रसन्न करने के लिए किए गए व्रत, उपवास एवं पूजन की महिमा का गान किया तथा कहा कि जो लोग नाना प्रकार के उपचारों से भक्तिपूर्वक तुम्हारी पूजा करेंगे उनके विघ्नों का सदा के लिए नाश हो जाएगा तथा उनकी कार्य सिद्धि होती रहेगी।

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सभी वर्गों के लोगों विशेषकर स्त्रियों को यह पूजा अवश्य करनी चाहिए। सदा विजय की कामना करने वाले राजाओं के लिए भी यह व्रत अनिवार्य कर्तव्य है। भक्त जिस वस्तु की कामना करता है उसे निश्चय ही वह वस्तु प्राप्त हो जाती है। अत: जिसे किसी वस्तु की अभिलाषा हो उसे तुम्हारी सेवा अवश्य करनी चाहिए। 

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