Edited By Lata,Updated: 14 Oct, 2019 11:58 AM
अक्टूबर का महीना शुरू होते ही त्योहारों की लड़ी लग जाती है। नवरात्रि, दीपावली, दशहरा, करवा चौथ।
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अक्टूबर का महीना शुरू होते ही त्योहारों की लड़ी लग जाती है। नवरात्रि, दीपावली, दशहरा, करवा चौथ। बहुत सारे ऐसे त्योहार भी आते हैं जो केवल देश के कुछ ही हिस्सों में मनाए जाते हैं, जैसे कि करवा चौथ। ये पर्व ज्यादातर उत्तर भारत की तरफ मनाया जाता है। करवा चौथ या करक चतुर्थी विशेषकर स्त्रियों का सुहाग पर्व है। करवा चौथ का व्रत शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए रखती है और कुंआरी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए भी इसे रख सकती हैं और इस साल ये व्रत 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है। चलिए आगे जैनते हैं कि इस दिन किन मंत्रों का जाप करके आप अपने सुहाग की लम्बी उम्र की प्रार्थना कर सकती हैं।
शास्त्रों के अनुसार प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर वस्त्राभूषण से सज्जित होकर सबसे पहले श्री गणेशजी का पूजन करें।
श्रद्धापूर्वक 10 करवे भगवान गणेश के आगे रखें तथा भक्तिपूर्वक प्रार्थना करें- हे करुणासिन्धु, हे श्री गणेश, हे विघ्ननाश करने वाले गजानन, मुझ पर प्रसन्न हों। मेरा सौभाग्य अटल रखें। उसके बाद करवे ब्राह्मणों तथा सुहागन स्त्रियों को आदरपूर्वक दक्षिणा सहित बांट दें।
रात्रि में चन्द्रोदय होने पर चन्द्रमा को दूध मिश्रित जल से अर्घ्य दें। व्रत पूर्ति पर मिष्ठान्न भोजन किया जाता है। 12 या 16 वर्षों तक करने का विधान है। छलनी में से चन्द्र दर्शन तथा अपने पति का मुख देखने की परंपरा है। जैसी भी स्थिति, स्थान आदि की परंपरा हो, पालन करें।
कृष्ण चतुर्थी व्रत पूजन हर माह की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। यदि घर में कोई विशेष गणेश प्रतिमा या यंत्रादि हो तो उसका पूजन भली-भांति कर दिनभर गणेश स्मरण करते रहें। उसके बाद नीचे दिए गणेश मंत्रों का जाप करें।
'ॐ गं गणपतये नम:।'
'ॐ वक्रतुण्डाय हुं।'
'हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा।'
'लम्बोदराय विद्महे महोदराय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।'
'महोत्कटाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।'
'तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।'
'एकदन्ताय विद्महे हस्तिमुखाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।'
करवों में लड्डू का नैवेद्य रखकर नैवेद्य अर्पित करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन करें।