गणेश उत्सव के आखिरी बुधवार एक साथ पाएं पिता-पुत्र दोनों का आशीर्वाद

Edited By Lata,Updated: 11 Sep, 2019 10:27 AM

ganesh utsav and pardosh vrat

इस बात को तो सब जानते ही हैं 2 सितंबर गणेश चतुर्थी से प्रारंभ हुए गणेश उत्सव का समापन 12 सितंबर को हो जाएगा।

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इस बात को तो सब जानते ही हैं 2 सितंबर गणेश चतुर्थी से प्रारंभ हुए गणेश उत्सव का समापन 12 सितंबर को हो जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार बुधवार का दिन बप्पा की पूजा करने का दिन होता है। आज गणेश उत्सव का आखिरी बुधवार है और इसके साथ ही बुध प्रदोष व्रत भी है। कहते हैं कि प्रदोष व्रत पर भोलेनाथ की पूजा होती है। इसलिए आज भोले बाबा के साथ-साथ उनके पुत्र गणेश भी अपनी भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करेंगे। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि भगवान शिव के साथ गणपति के किस मंत्र का जाप करने से मिलेगा दोनों का आशीर्वाद। 
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हिंदू धर्म में अनेक व्रतों में प्रदोष व्रत को सबसे प्रथम स्थान प्राप्त है। ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में पूजा अर्चना करने से मनुष्य जीवन में हुए ज्ञात-अज्ञात पुराने से पुराने पाप के दुष्फल से मुक्ति मिल जाती है। अगर गणेश उत्सव के दौरान बुधवार के दिन बुधवारी प्रदोष हो तो उस दिन एक साथ श्रीगणेश एवं भगवान शंकर का पूजन करने से जीवन की सभी अपूर्णताएं पूर्ण होने लगती है। 
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गणेश उत्सव के अंतिम बुधवार को सुबह से व्रत रखकर शाम को प्रदोष काल में स्नान करके धुले हुए वस्त्र धारण कर लें। अब घर पर ही या किसी शिव या गणेश मंदिर में जाकर एक कुशा के आसन पर बैठकर पहले गणेश जी एवं फिर शिव जी आवाहन एवं षोडशोपचार पूजन करें। गणेश जी को बेसन के मोदक एवं शिव जी को श्रीफल अर्पित करें। गणेश जी दुर्वा एवं शिव जी को बेलपत्र भी चढ़ाएं।
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मंत्र
"ऊँ गं गणपतये नम" 
"ऊं नमः शिवाय" 

इन दोनों मंत्र का 108 बार जाप करें। मंत्र जाप पूरा होने के बाद विघ्नहर्ता श्री गणेश एवं भगवान शिव से अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करें। 

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