गंगा दशहरा: इस विधि से करें पूजा और दान, कटेंगे पाप

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jun, 2017 10:54 AM

ganga dashehra by this method  worship and charity

स्नान एवं दान के साथ ही तन मन को भी शुद्घ करने का पर्व है ‘गंगा दशहरा’। जो पापों का करे नाश, सुख समृद्घि दे अपार। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमीं को

स्नान एवं दान के साथ ही तन मन को भी शुद्घ करने का पर्व है ‘गंगा दशहरा’। जो पापों का करे नाश, सुख समृद्घि दे अपार। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमीं को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है तथा इस बार गंगा दशहरा 4 जून को है। ब्रह्मपुराण के अनुसार 10 तरह के पापों का नाश करने के कारण इसे दशहरा कहते हैं। इस दिन गंगा में स्नान करने से मनुष्य के10 प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है। मनुस्मृति के अनुसार मनुष्य के 10 प्रकार के पापों की चर्चा है जिसके तहत 3 तरह के मानसिक, 3 प्रकार के वाचिक तथा 4 प्रकार के कायिक पाप होते है तथा विद्वानों ने सभी लोगों को गंगा दशहरा पर्व पर गंगा स्नान करने की सलाह दी है। ऋषियों के अनुसार इस दिन मनुष्य गंगा स्नान करते समय यदि प्रभु से अपनी गलतियों और पापों से मुक्ति के लिए क्षमा याचना करते हुए प्रार्थना करे तो भी उसके सभी पाप मिट जाते हैं, मन शुद्घ होता है और उसे प्रभु का शुभ आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। गंगा दशहरा केवल स्नान एवं दान का ही पर्व नहीं बल्कि इससे मनुष्य का तन और मन भी शुद्घ होता हैं।  


कैसे करें पूजा? 
इस दिन हरिद्वार में हरि की पौड़ी (हर की पौड़ी) और बनारस में गंगा घाट पर जाकर स्नान करने की महिमा है तथा गंगा माता का धूप, दीप, पुष्प, चन्दन, नेवैद्य आदि के अतिरिक्त  नारियल और मौसम के सभी फलों के साथ पूजन करने का विधान है। जो लोग हरिद्वार में नहीं जा सकते वह गंगा के किसी भी तटवर्ती क्षेत्र अथवा अपने घर में भी गंगा जल युक्त पानी में स्नान करके मंदिर में मां गंगा जी की प्रतिमा का विधिवत पूजन करके भी पुण्य लाभ पा सकते हैं। 


शास्त्रानुसार जो लोग घर में ही गंगा स्नान करना चाहते हैं वह पहले बाल्टी में गंगा जल डाले तथा बाद में उस बाल्टी को जल से भर कर स्नान करे तो वह सारा जल गंगा जल के समान होगा। अर्थात गंगा में जो भी वस्तु गिरती है वह गंगा के समान ही पवित्र मानी जाती है। पूजन के साथ ही ‘‘ओम नम: शिवाय  नारायण्यै दशहरायै गंगाये नम:’’ मंत्र का जाप करे तथा हवन यज्ञ करके आहूतियां डाले, धरती पर गंगा को लाने वाले भागीरथ और जहां से वह आई हैं उस हिमालय के नाम का स्मरण करते हुए उनका भी विधिवत पूजन करें। इस दिन ‘गंगाष्टकम स्तोत्र’ का पाठ करने वाले लोगों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं तथा मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। गंगा पूजन से हर प्रकार की दुर्लभ सुख-सम्पत्तियों की प्राप्ति सहज ही सम्भव है।  

 
क्या करें दान?

वैसे तो किसी भी वस्तु का कभी भी दान करने का सदा लाभ ही होता है परंतु गंगा दशहरा उत्सव पर किसी प्यासे को जल पिलाने, भूखे को अन्न का दान देने, निर्वस्त्र एवं जरुरतमंद को वस्त्रों का दान देना अति पुण्यफल दायक है। शास्त्रानुसार बिना किसी अहंकार की भावना से दिया गया दान ही श्रेष्ठ होता है, क्योंकि अहम कर्ता की भावना से किए गए दान से जीव के बहुत से सत्कर्म भी नष्ट हो जाते हैं, इसलिए बहुत से लोग जब गंगा स्नान करते हैं तो वह पानी में ही अपनी सामर्थ्यानुसार मन में संकल्प करके हीरे मोती, स्वर्ण एवं धन दौलत का दान गुप्त रूप से कर देते हैं। ब्राह्मणों को संकल्प करके दक्षिणा सहित गाय, पंखे, जल से भरे पात्र, चप्पल, छत्तरी आदि वस्तुओं का दान करने का विधान है।   

वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com 

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