Edited By Jyoti,Updated: 03 Jun, 2021 01:33 PM
प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाताहै। ऐसी मान्यताएं प्रचलित हैं इसी शुभ दिन धरती पर माता गंगा का
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प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाताहै। ऐसी मान्यताएं प्रचलित हैं इसी शुभ दिन धरती पर माता गंगा का अवतरण हुआ था, जिस कारण सनातन धर्म में इस दिन का अधिक महत्व है। श्रद्धालु इस दिन गंगा मैया की पूजा अर्चना कर गंगा में डुबकी लगाते हुए अपने पापों की क्षमा मांगते हैं। हर वर्ष इस दिन देश भर के गंगा घाटों पर अधिक भीड़ देखने को मिलती है, हालांकि पिछले वर्ष से इस भीड़ में कमी देखने को मिल रही है। जिसका कारण है देश में बुरी तरह से फैली कोरोना महामारी। इसके चलते प्रत्येक वर्ष की तरह लोग गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकेंगे और निराश होंगे। तो आपको बता दें ऐसे में आपको निराश होने की कोई आवश्यकता नही है, क्योंकि हम आपको गंगा मैया को खुश करने का एक आसान तरीका बताने जा रहे हैं।
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी कारण वश गंगा स्नान के लिए न जा पाए तो ऐसे में उसे अपने घर के पूजा स्थल में इनका चित्र या तस्वीर रखकर विधि वत पूजा अर्चना कर निम्न दी गई आरती करनी चाहिए। इससे जातक को गंगा मैया की कृपा मिलती है तथा समस्त पापों से छुटकारा मिलता तथा भविष्य में पाप न करने की सद्बुद्धि प्राप्क होताी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इस वर्ष गंगा दशहरे का ये पर्व 20 जून को मनाया जाएगा।
यहां जानें गंगा मैया की आरती-
हिन्दू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व होता है। प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गंगा मैया स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर आईं थीं। इस वर्ष गंगा दशहरा 20 जून 2021, रविवार को मनाया जाएगा। गंगा दशहरा के पावन पर्व पर घर में ही करें यह पवित्र आरती-
ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।
ॐ जय गंगे माता...
चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।
ॐ जय गंगे माता...
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।
ॐ जय गंगे माता...
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता।
ॐ जय गंगे माता...
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।
दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता।
ॐ जय गंगे माता...
ॐ जय गंगे माता...।।