Garuda Purana: इन तीन हालातों में शव को कभी न छोड़ें अकेला वरना...

Edited By Jyoti,Updated: 11 May, 2021 02:45 PM

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सनातन धर्म मेें अनेकों ही ग्रंथ आदि हैं, जिनमें न केवल देवीे-देवताओं के बारे में वर्णन किया गया है बल्कि इसमें मानव जीवन से जुड़ी कई बातें पढ़ने को मिलती है

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म मेें अनेकों ही ग्रंथ आदि हैं, जिनमें न केवल देवीे-देवताओं के बारे में वर्णन किया गया है बल्कि इसमें मानव जीवन से जुड़ी कई बातें पढ़ने को मिलती है। इन्ही में से एक है गरुड़ पुराण। बताया जाता है कि इस पुराण में व्यक्ति की मृत्यु संबंधी जानकारी दी गई है। इसमें किए उल्लेख के अनुसार जिस किसी ने भी इस धरती पर जन्म लिया है, एक न एक दिन उसे मरना ही है। बल्कि शास्त्रों के अनुसार तो ग्रह तथा नक्षत्रों तक की आयु निर्धारित है। गरुड़ पुराण में जन्म मरण के इस चक्र में व्यक्ति अपने कर्मों आदि के अनुसार नीचे की योनियां से ऊपर की योनियां में गति करता है और पुनः नीचे गिरने लगता है। जन्म मरण का यह सिलसिला तब तक चलता है जब तक व्यक्ति मोक्ष प्राप्त नहीं कर लेता। आज हम आपको गरुड़ पुराण में वर्णित ऐसी ही कुछ जानकारी देने जा रहे हैं, जो मृत्यु से जुड़ी हुई हैं, दरअसल इसमें बताया गया है कि मरने वाले के परिवार को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि शव को कब-कब अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। गरुड़ पुराण में ऐसे 3 कारण बताए गए हैं, जिस दौरान शव को किसी भी कीमत पर अकेला नहीं छोड़ना चाहिए-  

बताया जाता है कि कि सनातन धर्म के अनुसार सूर्यस्त के उपरांत किसी भी हालात में शव को जलाना नहीं चाहिए। बल्कि अगर ऐसी परिस्थिति आ जाए तो इस दौरान शव को रातभर घर में रखें मगर ध्यान रहे कि शव के पास हमेशा कोई न कोई जरूर हो। ऐसा कहा जाता है जिस व्यक्ति का शव शाम और या रात के बाद जलाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को अधोगति प्राप्त तो होती है, पर उसे कभी मुक्ति मिल पाती। ऐसे लो आत्मा असुर, दानव अथवा पिशाच की योनी में जन्म लेते हैं।

आप में से बहुत सो लोगों ने सुना होगा कि पंचक को शुभ नहीं माना जाता है, ये मान्यता बिल्कुल सही है। जी हां, इस दौरान खास तौर शादी, ब्याह आद जैसे कार्य करने में सख्त मनाही होती है। पर क्या आप जानते हैं, अगर पंचक के दौरान घर में किसी की मृत्यु हो जाती, तो उस व्यक्ति का शव पंचक काल के दौरान कभी नहीं जलाया जाता है। ज्योतिष और धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जब तक पंचक काल समाप्त न हो, तब तक शव को घर में ही रखें, किसी को भी शव को देखने न दिया जाए। गरुड़ पुराण में यह वर्णन भी किया गया है कि जिस के अनुसार अगर पंचक के दौरान किसी की मौत होती है तो उस घर के चार और परिवार जन को हानि हो सकती है। 

सनातन धर्म के अनुसार जिस व्यक्ति के मर जाने पर उसका दाह संस्कार करने के लिए पुत्र या पुत्री में से कोई समीप न हो तो उनके आने का इंतजार किया जाना चाहिए। तब तक शव को घर में ही रखा जाना चाहिए और किसी न किसी को शव के पास रहना होता है। गरुड़ पुराण के अनुसार पुत्र या पुत्री के हाथों ही दाह संस्कार होने पर ही मृतक को शांति मिलती है, उसकी आत्मा भटकती नहीं है।  

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