जब भगवान शिव एवं पार्वती समेत शिवलिंग धरती चीरकर निकल आया...

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Nov, 2021 01:46 PM

gaurishankar temple of mahadeva village

उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग के नेपाल की सीमा के पास एक प्रसिद्ध शहर होने के साथ ही गोरखपुर एक प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र भी है। यह शहर बौद्ध, हिंदू, मुस्लिम, जैन और सिख संतों की साधना स्थली भी रहा है।

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Gaurishankar Temple of Mahadeva Village: उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग के नेपाल की सीमा के पास एक प्रसिद्ध शहर होने के साथ ही गोरखपुर एक प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र भी है। यह शहर बौद्ध, हिंदू, मुस्लिम, जैन और सिख संतों की साधना स्थली भी रहा है। योगी मत्स्येंद्रनाथ एवं उनके प्रमुख शिष्य गोरक्षनाथ ने मिलकर संतों के संप्रदाय की स्थापना की थी। यहीं महान संत परमहंस योगानंद का भी जन्म हुआ। मध्ययुगीन सर्वमान्य संत गोरखनाथ के बाद उनके ही नाम पर जिले का वर्तमान नाम गोरखपुर रखा गया जहां आज भी भूत-भावन भोलेनाथ गौरी-शंकर भक्तों की मनोकामना पूर्ण कर रहे हैं।

गौरी-शंकर का यह मंदिर जनपद मुख्यालय से 37 कि.मी. सोनौली राष्ट्रीय राजमार्ग पर कैंपियरगंज तहसील मुख्यालय में है। इस मुख्यालय से 5 कि.मी. पश्चिम करमैनी रोड पर भैसला गांव है। इसी गांव के महादेव टोला पर राप्ती नदी के तट पर यह मंदिर स्थित है। गौरी-शंकर मंदिर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। धरती से निकले इस शिवलिंग में शिव-पार्वती विद्यमान हैं।

मंदिर की कहानी
इस मंदिर से जुड़ी किंवदंतियों के मुताबिक तेरहवीं-चौदहवीं शताब्दी में यह क्षेत्र सघन आद्रवन था। यहां कुछ लोग गौ हत्या की कोशिश कर रहे थे कि अचानक जंगल के मध्य से भगवान शिव एवं पार्वती समेत शिवलिंग धरती चीरकर निकल आया। तभी से लोगों ने यहां पूजा-अर्चना शुरू कर दी और गौ-हत्या न करने का संकल्प लिया।

जनश्रुति के मुताबिक इस अद्भुत शिवलिंग के लिए मंदिर का निर्माण 1850 में मूसाबार गांव के जमींदार राम सहाय पांडेय ने कराया था लेकिन जब शिवलिंग को मंदिर में स्थापित करने का प्रयास करने लगे तो सफलता नहीं मिली। आखिर उन्होंने जहां शिवलिंग निकला था, उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया। कालांतर में मंदिर परिसर में ही गौरी-शंकर मंदिर के बगल में हनुमान मंदिर, दुर्गा मंदिर, काली मंदिर का भी निर्माण हुआ। मंदिर के सामने भव्य पोखरा और उसके साथ बना राम-जानकी मंदिर भी श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।

लगता है विशाल मेलाहरेक सोमवार को स्थानीय भक्तों के अलावा दूर-दूर से आकर श्रद्धालुजन गौरीशंकर मंदिर में जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना करते हैं तथा यहां भक्तों की काफी भीड़ रहती है। सावन मास में यहां बहुत बड़ा मेला लगता है, वहीं पूरे महीने यज्ञ-कीर्तन-रुद्राभिषेक व भंडारे आयोजित होते रहते हैं। 

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