मोह-माया में फंसे व्यक्ति को भगवान भी नहीं बचा सकते

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Nov, 2017 05:09 PM

god can not save a person trapped in temptation

एक आदमी घने जंगल में भागा जा रहा था। शाम हो गई थी अंधेरे में कुआं नहीं दिखा और वह उसमें गिर गया। गिरते-गिरते उसके हाथ में झुके हुए पेड़ की डाली आ गई और उसने डाली पकड़ ली। उसने नीचे की ओर देखा तो चार-चार मगरमच्छ मुंह खोले हुए उसकी राह देख रहे थे।

एक आदमी घने जंगल में भागा जा रहा था। शाम हो गई थी अंधेरे में कुआं नहीं दिखा और वह उसमें गिर गया। गिरते-गिरते उसके हाथ में झुके हुए पेड़ की डाली आ गई और उसने डाली पकड़ ली। उसने नीचे की ओर देखा तो चार-चार मगरमच्छ मुंह खोले हुए उसकी राह देख रहे थे। जिस डाली को उसने पकड़ रखा था उसे दो चूहे कुतरे जा रहे थे। इतने में एक हाथी आया तो वह पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लग गया। वह आदमी घबरा कर सोचने लगा हे ऊपर वाले, अब क्या होगा? हाथी के पेड़ हिलाने से उससे मधुमक्खियां उड़ने लगी। शहद की बूंद टपकने लगी एक शहद की बूंद उसके होंठों पर गिरी। शहद गजब का मीठा था। अमृत जैसा स्वाद था। इतना स्वादिष्ट शहद उसने आज तक न चखा था।

 

कुछ पलों के बाद शहद की एक और बूंद उसके होंठों पर गिरी। वह शहद की मिठास में इतना मग्र हो गया कि वह तकलीफों के बारे में भूल ही गया कि वह कहां लटका हुआ है  और मगरमच्छ उसके इंतजार में हैं। तभी वहां से भगवान का रथ गुजरा और रुका। ऊपर वाले ने कहा, ‘‘मैंने तुम्हारी पुकार सुनी है बालक मैं तुम्हें बचाने आया हूं। मेरा हाथ थाम लो।’’ इंसान ने कहा, ‘‘जी बस आया यह जो बूंद गिरने वाली है उसको चख लूं। एक के बाद एक बूंदों का स्वाद लेने में लगा रहा और भगवान का रथ वहां से निकल गया।’’


अर्थात वह आदमी जिस जंगल से जा रहा था वह जंगल है दुनिया। अंधेरा है अज्ञानता, पेड़ की डाली है आयु। दो चूहे उस डाली को कुतरने वाले दिन और रात हैं और हाथी है घमंड जो पेड़ को उखाडने में लगा हुआ है। शहद की बूंदें संसार के सुख हैं जिसके कारण खतरों को भी अनदेखा कर देता है। ऐसी सुख की माया-जाल में अगर फंसा तो ऊपरवाला भी उसे बचा नहीं सकता।   

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