शुक्रवार का गुडलक- वैसाख पंचमी पर पाएं भोग विलासिता में वृद्धि का वर

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 20 Apr, 2018 07:33 AM

शुक्रवार दिनांक 20.04.18 को वैसाख शुक्ल पंचमी पर मार्गशीर्ष नक्षत्र बव व बाल्व करण शोभन योग हैं। शुक्रदेव को परम शिव भक्त माना गया है। शुक्रवार का दिन कामदेव के साथ-साथ शिव के कामेश्वर स्वरूप को समर्पित है। शुभफल प्रदाता पंचमी तिथि पूर्णा संज्ञक...

शुक्रवार दिनांक 20.04.18 को वैसाख शुक्ल पंचमी पर मार्गशीर्ष नक्षत्र बव व बाल्व करण शोभन योग हैं। शुक्रदेव को परम शिव भक्त माना गया है। शुक्रवार का दिन कामदेव के साथ-साथ शिव के कामेश्वर स्वरूप को समर्पित है। शुभफल प्रदाता पंचमी तिथि पूर्णा संज्ञक श्रीमती कहलाती हैं। दक्षिण दिशा की स्वामिनी पंचमी सिद्धिदा है। शुक्ल पंचमी में शिव वास कैलास व कृष्ण पंचमी में वृष पर होने से पंचमी सुखकारक व श्री-प्राप्तिकारक है। अतः इसमें शिवार्चन परम शुभ माना जाता है। ऐसे योगा योग में महादेव के कामेश्वर स्वरूप का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। कामेश्वर शक्तिलिंग उत्तर प्रदेश
के बलिया जिले के कारों ग्राम में स्थित है।


पौराणिक कथानुसार ब्रह्मदेव ने प्रजा वृद्धि के लिए कामदेव की उत्पत्ति करके उसे 12 स्थान प्रदान किये। कामदेव का स्थान स्त्रियों के कटाक्ष, केशराशि, जंघा, वक्ष, नाभि, जंघमूल, अधर, कोयल की कूक, चांदनी, वर्षाकाल, चैत्र व वैशाख महीने में रहेगा। ब्रह्मदेव ने कामदेव को पुष्प का धनुष और पांच बाण देकर विदा किया था। कामदेव ने महादेव पर अपना बाण चलाया था। शिव पुराण के अनुसार यहां महादेव ने कामदेव को जला कर भस्म कर दिया था। यहां पर आज भी वह आधा जला हुआ, हरा भरा आम का पेड़ है जिसके पीछे छिपकर कामदेव ने समाधि में लीन महादेव पर पुष्प बाण चलाया था।


धर्मारण्य में समाधिस्थ महादेव के तीसरे नेत्र से कामदेव के भस्म हो जाने की कथा को महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में वर्णित किया है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार त्रेतायुग में इस स्थान पर महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान श्रीराम व लक्ष्मण भी आये थे। यहां दुर्वासा ऋषि ने भी तप किया था। शुक्रवारीय पंचमी पर शिव के कामेश्वर स्वरूप के पूजन व्रत व उपाय से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। भोग विलासिता में वृद्धि होती है। धन की प्राप्ति होती है।

 

विशेष पूजन विधि: शिवालय जाकर शिवलिंग का पंचोपचार पूजन करें। गौघृत में इत्र मिलाकर दीपक करेंगुलाबी फूल चढ़ाएं, अबीर व गुलाल चढ़ाएं, सफ़ेद चंदन से त्रिपुंड बनाएं, मिष्ठान का भोग लगाएं, व एक माला इस विशिष्ट मंत्र का जाप करें। पूजन के बाद भोग को पीपल के नीचे रख दें।


पूजन मंत्र: क्लीं कामेश्वराय नमः शिवाय क्लीं॥
 

मुहूर्त
पूजन मुहूर्त: प्रातः 08:00 से प्रातः 09:00 तक।

गुलिक काल - सुबह 07:30 से सुबह 09:00 तक।

अभिजीत मुहूर्त: दिन 11:36 से दिन 12:24 तक।

राहु काल - सुबह 10:30 से दिन 12:00 तक।

यमगंड काल - शाम 15:00 से शाम 16:30 तक।

अमृत वेला - दिन 12:00 से दिन 13:30 तक।

काल वेला - सुबह 10:30 से दिन 12:00 तक।

यात्रा मुहूर्त: आज दिशाशूल पश्चिम व राहुकाल वास आग्नेय में है। अतः पश्चिम व आग्नेय दिशा की यात्रा टालें।


आज का गुडलक ज्ञान
आज का गुडलक कलर:
फ़ीरोज़ी।

आज का गुडलक दिशा: वायव्य।

आज का गुडलक मंत्र: क्लीं आनंद ताण्डवाय नमः शिवाय क्लीं॥

आज का गुडलक टाइम: शाम 19:30 से शाम 20:30 तक।

आज का बर्थडे गुडलक: धन की प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर चढ़ा इत्र, रुई में लेकर पर्स में रखें।

आज का एनिवर्सरी गुडलक: भोग विलासिता में वृद्धि के लिए शिवलिंग पर चढ़ी शक्कर किसी सुहागिन को भेंट करें।

गुडलक महागुरु का महा टोटका: समस्त सुखों की प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर चढ़े तांबे के 7 त्रिकोण टुकड़े जलप्रवाह करें।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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