शनिवार का गुडलक: नरसिंह जयंती पर होगा हर दुख का अंत

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 28 Apr, 2018 07:24 AM

शनिवार दिनांक 28.04.18 को वैसाख शुक्ल चतुर्दशी के उपलक्ष्य में नरसिंह जयंती पर्व मनाया जाएगा। विष्णु पुराण के अनुसार विष्णु के प्रमुख दस अवतारों में से नृसिंह देव चौथा अवतार माने जाते हैं। इस अवतार में भगवान विष्णु आधे मनुष्य अर्थात नर व

शनिवार दिनांक 28.04.18 को वैसाख शुक्ल चतुर्दशी के उपलक्ष्य में नरसिंह जयंती पर्व मनाया जाएगा। विष्णु पुराण के अनुसार विष्णु के प्रमुख दस अवतारों में से नरसिंह देव चौथा अवतार माने जाते हैं। इस अवतार में भगवान विष्णु आधे मनुष्य अर्थात नर व आधे शेर अर्थात सिंह के रूप में अवतरित हुए थे। शास्त्रनुसार कश्यप ऋषि व उनकी दैत्य पत्नी दिति के दो पुत्र हिरण्याक्ष व हिरण्यकश्यप थे। विष्णु के वराह अवतार में हरिण्याक्ष के वध से क्रोधित हिरण्यकश्यप ने भाई की मृत्यु का बदला विष्णु जी से लेने के लिए ब्रह्मदेव का कठोर तप करके उनसे अजय होने का वरदान प्राप्त किया और स्वर्ग पर अधिपत्य स्थापित करके तीनों लोकों पर स्वामित्व बना लिया। हिरण्यकश्यप अपनी शक्ति के अहंकार में प्रजा पर भी अत्याचार करने लगा।


हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद अपने पिता से पूर्णतः अलग था। वो बचपन से ही विष्णु भगवान का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद का मन विष्णु भगवान की भक्ति से हटाने का बहुत प्रयास किया परंतु असफल रहा। क्रोधित हिरण्यकश्यप ने एक द्वार से सटे खंबे से प्रह्लाद को बांधकर खंबे पर अपने गदा से प्रहार किया। तभी खंभे को चीरकर नृसिंह देव प्रकट हुए और हिरण्यकश्यप को उठाकर महल की दहलीज पर ले आए। नरसिंह भगवान ने उसे अपनी गोद में लिटाकर अपने नाखूनों से उसका सीना चीरकर वध कर दिया। वध का स्थान न दहलीज था न घर के भीतर था, न बाहर, नरसिंह जी की गोद थी। न धरती थी न ही आकाश, उस समय गोधुलि बेला थी यानी न दिन था और न रात। नरसिंह जी आधे मानव व आधे पशु थे, नृसिंह जी के नाखून थे, न अस्त्र और न ही शस्त्र था। अतः यह दिन नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान नृसिंह के निमित व्रत पूजन व उपाय से सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, समस्त दुखों का निवारण होता है तथा दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है। 


पूजन विधि: घर के पश्चिम में नीले कपड़े पर नरसिंह देव का चित्र स्थापित करके पंचोपचार पूजन करें। सरसों के तेल का दीपक करें, लोहबान धूप करें, बरगद के पत्ते चढ़ाएं, काजल चढ़ाएं, नारियल, बादाम व मिश्री चढ़ाएं, उड़द की खिचड़ी का भोग लगाएं व एक माला इस विशिष्ट मंत्र की जपें। पूजन के बाद भोग को पीपल के नीचे रख दें।

 
पूजन मंत्र: ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः॥
मध्यान संकल्प मुहूर्त: दिन 12:35 से दिन 13:35 तक। 
गोधुलि बेला पूजन मुहूर्त: शाम 17:00 से शाम 18:50 तक।


मुहूर्त: 
गुलिक काल -
सुबह 06:00 से सुबह 07:30 तक।
अभिजीत मुहूर्त: दिन 11:36 से दिन 12:24 तक।
राहु काल - सुबह 09:00 से सुबह 10:30 तक। 
यमगंड काल - दिन 13:30 से दिन 15:00 तक।
अमृत वेला शाम- 03:00 से शाम 04:30 तक।
काल वेला - 16:30 से शाम 18:00 तक।


यात्रा मुहूर्त: आज दिशाशूल उत्तर व राहुकाल वास दक्षिण-पश्चिम में है। अतः उत्तर व दक्षिण-पश्चिम दिशा की यात्रा टालें।


आज का गुडलक ज्ञान
आज का गुडलक कलर:
काला।
आज का गुडलक दिशा: पश्चिम।
आज का गुडलक मंत्र: ॐ नृसिंहाय नमः॥
आज का गुडलक टाइम: 18:30 से शाम 19:30 तक।


आज का बर्थडे गुडलक: सर्व मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान नरसिंह पर चढ़ा शहद विप्र को दान करें।


आज का एनिवर्सरी गुडलक: समस्त दुखों के नाश के लिए लाल वस्त्र में बंधा नारियल भगवान नरसिंह पर चढ़ाएं।


गुडलक महागुरु का महा टोटका: दुर्घटनाओं से सुरक्षा के लिए 8 नींबूओं पर सिंदूर लगाकर भगवान नरसिंह पर चढ़ाएं।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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