बुधवार का गुडलक: महादुर्गा करेंगी समस्त रोगों का शमन

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 04 Apr, 2018 07:12 AM

बुधवार दि॰ 04.04.18 वैसाख कृष्ण चतुर्थी अनुराधा नक्षत्र, बाल्वकरण व सिद्धि योग है। वैसाख माह शंकर-पार्वती व बुधवार आद्यशक्ति को समर्पित है। इस योगायोग के करण दस महाविद्या के चौथी विद्या देवी भुवनेश्वरी के स्वरूप का पूजन करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।

बुधवार दि॰ 04.04.18 वैसाख कृष्ण चतुर्थी अनुराधा नक्षत्र, बाल्वकरण व सिद्धि योग है। वैसाख माह शंकर-पार्वती व बुधवार आद्यशक्ति को समर्पित है। इस योगायोग के कारण दस महाविद्या के चौथी विद्या देवी भुवनेश्वरी के स्वरूप का पूजन करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। देवी भुवनेश्वरी का सम्बन्ध श्री कुल से है। अपने नाम के अनुसार देवी त्रि-भुवन या तीनों लोकों के ईश्वरी या स्वामिनी मानी जाती हैं। देवी साक्षात संपूर्ण ब्रह्माण्ड को धारण कर उसका पालन पोषण करती हैं। इन्हें जगन-माता व जगत-धात्री के नाम से भी जाना जाता है। यही पंचतत्व से चराचर जगत का निर्माण कर उसे संचालित करती हैं। आद्या शक्ति भुवनेश्वरी ही परमेश्वरी शिव के लीला की सहचरी हैं। देवी नियंत्रक व दंडनायक दोनों की भूमिका निभाती हैं। भुवनेश्वरी सौम्य व अरुण के समान अंग-कांति युवती हैं। इनके मस्तक पर अर्ध चन्द्र सुशोभित है। त्रिनेत्री देवी का मुखमंडल मंद मुस्कान की छटा युक्त है। इनके चार हाथों में गदा, राजदंड, माला वरद मुद्रा है। इनके भुजा में व्याप्त अंकुश नियंत्रक का प्रतीक हैं। देवी विश्व का वमन करने के कारण वामा, शिवमय होने के कारण ज्येष्ठा, जीवों को दण्डित करने के कारण रौद्री, प्रकृति का निरूपण करने के कारण मूल-प्रकृति कहलाती हैं। परमेश्वर शिव के वाम भाग को देवी भुवनेश्वरी के रूप में जाना जाता है तथा सदा परमेश्वर शिव के सर्वेश्वर होने की योग्यता देवी भुवनेश्वरी के संग होने से प्राप्त हैं। यही देवी भुवनेश्वरी ऐश्वर्या की स्वामिनी हैं। इनके पूजन से जीवन में ऐश्वर्य आता है, जीवन से जटिलता दूर होती है व सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


पूजन विधि: घर के ईशान कोण में हरा वस्त्र बिछाकर, देवी भुवनेश्वरी के चित्र की स्थापना कर विधिवत पूजन करें। कांसे के दिए में गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, गोलोचन से तिलक करें, मिश्री अर्पित करें व तिल मिश्रित मूंग की खिचड़ी का भोग लगाएं। किसी माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें। पूजन उपरांत भोग प्रसाद स्वरूप वितरित करें।

 
पूजन मुहूर्त: प्रातः 09:50 से प्रातः 10:50 तक।
पूजन मंत्र: ॐ श्रीभुवनेश्वर्यै नमः॥


आज का शुभाशुभ
आज का अभिजीत मुहूर्त:
बुधवार के कारण अभिजीत नहीं है।
आज का अमृत काल: रात 22:09 से रात 23:52 तक।
आज का राहु काल: दिन 12:24 से दिन 13:57 तक। 
आज का गुलिक काल: प्रातः 10:51 से दिन 12:24 तक।
आज का यमगंड काल: प्रातः 07:44 से प्रातः 09:18 तक।


यात्रा मुहूर्त: आज दिशाशूल उत्तर व राहुकाल वास दक्षिण-पश्चिम में है। अतः उत्तर व दक्षिण-पश्चिम दिशा की यात्रा टालें।


आज का गुडलक ज्ञान
आज का गुडलक कलर:
हरा।
आज का गुडलक दिशा: पूर्व।
आज का गुडलक मंत्र: ॐ राजराजेश्वरी नमः॥
आज का गुडलक टाइम: शाम 19:18 से रात 20:18 तक।


आज का बर्थडे गुडलक: बुद्धिमत्ता में वृद्धि हेतु भुवनेश्वरी पर चढ़े गोरोचन से नित्य तिलक करें।


आज का एनिवर्सरी गुडलक: शत्रुओं पर जीत हेतु भुवनेश्वरी पर चढ़ी 6 सबूत सुपारी वीराने में दबा दें।


गुडलक महागुरु का महा टोटका: रोगों का शमन हेतु भुवनेश्वरी पर चढ़ी 6 मौसम्बी गरीबों में दान करें।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 

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