बुधवार का गुडलक- देगा शोहरत का वरदान

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 11 Apr, 2018 07:09 AM

बुधवार दिनांक 11.04.18 को वैसाख कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि धनिष्ठा नक्षत्र, बव करण व शुभ योग है। बुधवार पर मंगल के नक्षत्र धनिष्ठा होने से यह दिन आद्यशक्ति को समर्पित है। शास्त्रों में बुधवार को देवी का वार माना गया है। इसी कारण इस दिन देवी सुगंधा को...

बुधवार दिनांक 11.04.18 को वैसाख कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि धनिष्ठा नक्षत्र, बव करण व शुभ योग है। बुधवार पर मंगल के नक्षत्र धनिष्ठा होने से यह दिन आद्यशक्ति को समर्पित है। शास्त्रों में बुधवार को देवी का वार माना गया है। इसी कारण इस दिन देवी सुगंधा को समर्पित है। सुगंधा का अर्थ है सुंदर व सौम्य महक। पौराणिक कथानुसार प्रजापति दक्ष ने कनखल क्षेत्र में बृहस्पति सर्व नामक यज्ञ किया था। उस यज्ञ में सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन अपनी पुत्री सती व जमादा महादेव को नहीं बुलाया था। सती अपने पिता के न बुलाए जाने पर भी यज्ञ में भाग लेने गईं। यज्ञ-स्थल पर दक्ष ने उग्र होकर सती को महादेव के बारे में अपशब्द कहे। आहत सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर प्राणाहुति दे दी। 


महादेव ने दक्ष की यज्ञशाला को विध्वंस किया व सती के पार्थिव शरीर को कंधे पर उठाकर घूमने लगे। महादेव के दुखी होकर घूमने से प्रकृति का संतुलन बिगड़़ गया जिससे प्रलय की स्थिति बन गई, इस पर श्रीहरि ने सुदर्शन चक्र से सती के देह के 108 टुकड़े किए जो विभिन्न स्थानों पर गिरकर शक्तिपीठ कहलाए। इन्हीं मे से एक है सुगंधा शक्तिपीठ। सुगंधा नदी के तट पर देवी सती की नाक गिरी थी। यहां देवी सुगंधा एकजटा के रूप में विद्यमान हैं। यहां के भैरव त्र्यंबक हैं। 


ज्योतिषशास्त्र के अनुसार नाक का संबंध बुध से होता है, बुध व्यक्ति के मान प्रतिष्ठा, बौद्धिकता, बुद्धि, प्रतिरोधक शक्ति, शत्रु दमन और प्रसिद्धि को दर्शाता है। देवी सुगंधा के विशेष पूजन व उपाय से व्यक्ति की मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है, शत्रुता मिटती है व इम्युनिटी में बढ़ोत्तरी होती है।


पूजन विधि: घर की पूर्व दिशा में हरा वस्त्र बिछाकर, देवी सुगंधा या दुर्गा के चित्र की स्थापना कर विधिवत पूजन करें। कांसे के दिए में गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, गोलोचन से तिलक करें, मिश्री अर्पित करें। मूंग से बने मिष्ठान का भोग लगाएं। किसी माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें। पूजन उपरांत भोग प्रसाद स्वरूप वितरित करें। 


पूजन मुहूर्त: सुबह 10:30 से दिन 12:00 तक। 
पूजन मंत्र: ॐ सुगंधा देव्यै: नमः॥


शुभ मुहूर्त:
शुभ वेला –
सुबह 10:30 से दिन 12:00 तक। 
अमृत वेला – शाम 16:30 से शाम 18:00 तक।
गुलिक काल - सुबह 10:30 से दिन 12:00 तक। 
अभिजीत मुहूर्त: बुधवार के कारण उपस्थित नहीं  है।


अशुभ मुहूर्त:
राहु काल -
दिन 12:00 से दिन 01:30 तक। 
वार वेला – दिन 12:00 से दिन 01:30 तक।
काल वेला - सुबह 09:00 से सुबह 10:30 तक।
यमगंड काल - सुबह 07:30 से सुबह 09:00 तक।


यात्रा मुहूर्त: आज दिशाशूल उत्तर व राहुकाल वास दक्षिण-पश्चिम में है। अतः उत्तर व दक्षिण-पश्चिम दिशा की यात्रा टालें।


लकी मंत्र: ॐ सुदिनायै नमः॥


आज का लकी-अनलकी 
लकी कलर: हरा।
अनलकी कलर: पीला।
लकी दिशा: पूर्व।
अनलकी दिशा: नैऋत्य।


आज के स्पेशल उपाय
हैल्थ:
किसी गरीब कन्या को कांच का बर्तन दान दें।
एजुकेशन: किसी किताब पर हरे स्केच पेन से "ब्रीं" लिखें।
वेल्थ: महादेवी पर चढ़े मूंग के दाने तिजोरी में रखें। 
प्रॉफ़ेशन: ऑफिस या दुकान पर हरा पेन यूज़ करें। 
लव: बायीं हथेली पर ज़रा सी मेहंदी लगाएं।
मैरिज: हरे-सफ़ेद कपड़ों का कॉम्बिनेशन पहनें। 
फॅमिली: तुलसी पर धूप कीजिए।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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