Govardhan Puja 2020: दोपहर के समय इस विधि से करें पूजा, मिलेगी सफलता

Edited By Jyoti,Updated: 15 Nov, 2020 12:48 PM

govardhan puja 2020

बीते दिन दिवाली मनाने के बाद आज यानि 15 नवंबर, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि हर कोई गोवर्धन पूजा में व्यस्त दिखाई देगा। जी हां प्रत्येक वर्ष दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का विधान है।

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बीते दिन दिवाली मनाने के बाद आज यानि 15 नवंबर, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि हर कोई गोवर्धन पूजा में व्यस्त दिखाई देगा। जी हां प्रत्येक वर्ष दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह मूलतः प्रकृति की पूजा मानी जाती है, जिसका प्रारंभ श्री कृष्ण ने किया था। यही कारण है क इस दिन प्रकृति के आधार पर दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पर्वत व गिरिराज देवता की पूजा की जाती है। तो वहीं इस दिन समाज के आधार पर गाय की पूजा करने का विधान होता है। बताया जाता है कि गोवर्धन पूजा की परंपरा पहले केवल बज्र में ही संपन्न की जाती थी। परंतु धीरे-धीरे यह पंरपरा पूरे भारत में प्रचलित हो गई। तो आइए जानते हैं क्या है इसका शुभ मुहूर्त साथ ही साथ जानेंगे इसका महत्व- 
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शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि 15 नवंबर की सुबह 10:36 से 16 नवंबर की सुबह 07:05 तक थी। इसके अलावा गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त रविवार, 15 नवंबर को दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से संध्या 05 बजकर 26 मिनट तक है। 

किस प्रकार की जाती है अन्नकूट पूजा?
धार्मिक वेदों व ग्रंथों के मुताबिक, इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दौरान गायों का श्रृंगार कर, उनकी आरती की जाती है और उन्हें फल मिठाइयां को भोग लगाया जाता है।

साथ ही साथ गाय के गोबर से इस दिन गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाकर, उसकी पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से उपासना की जाती है। 
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प्रचलित परंपराओं आदि के अनुसार इस दिन एक ही रसोई से घर के हर सदस्यों का भोजन बनता है, जिसमें विविध प्रकार के पकवान शामिल होते हैं। इस दिन खाने में प्याज-लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता है। पकवान बनने के बाद सबसे पहले श्रीकृष्ण भगवान को इनका भोग लगाया ाता है। उसके बाद प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण किया जाता है। कहा जाता है इससे घर में सुख समृद्धि आती है। 

ऐसे करें गोवर्धन पूजा-
तेल से स्नान कर सबसे पहले घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाएं। 

इससे बाद गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाकर ग्वाल बाल, पेड़ पौधों की आकृति बनाएं और इसके मध्य में भगवान कृष्ण की मूर्ति रखें। 

फिर भगवन कृष्ण, ग्वाल-बाल,और गोवर्धन पर्वत का पूजन करें। 

विविध बनाए पकवान और पंचामृत का भोग लगाएं।
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ध्यान रहे इस दिन गोवर्धन पूजा की कथा ज़रूर सुनें और पहले भोग लगे प्रसाद का वितरण करें उसके बाद ही इसे ग्रहण करें।  

इस काम से मिलेगा दोगुना लाभ- 
गाय को स्नान कराकर उसे तिलक करें, फल और चारा खिलाकर 7 बार परिक्रमा करें। 

ज्योतिष उपाय के अनुसार इस दिन गाय के खुर के पास की मिटटी लेकर, इसे घर में कांच की शीशी में अपने पास सुरक्षित रख दें। ऐसी मान्यता है इस मिट्टी का तिलक लगाने से सफलता प्राप्त होती है। 

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