Kundli Tv- गोवत्स द्वादशी: साल के किस दिन गाय का दूध नहीं पीना चाहिए ?

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Nov, 2018 12:01 PM

govatsa dwadashi 2018

गोवत्स द्वादशी को बछ बारस भी कहा जाता है। ये द्वादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है।

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गोवत्स द्वादशी को बछ बारस भी कहा जाता है। ये द्वादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है। इस दिन गाय और बछड़े की पूजा की जाती है और ये पूजा सूरज निकलने से पहले की जाती है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं। खासतौर से पुत्र को संतान के रूप में प्राप्त करने वाली महिलाओं के लिए ये व्रत करना शुभकारी होता है। ये व्रत महिलाएं अपने पुत्र की मंगल कामना के लिए रखती हैं। इस पर्व पर गीली मिट्टी की गाय, बछड़ा, बाघ और बाघिन की मूर्तियां बनाकर पाट पर रखी जाती हैं। फिर उनकी विधिवत पूजा की जाती है। 
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भारतीय धार्मिक पुराणों के अनुसार गाय को पूजनीय माना गया है। कहा जाता है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। गोवत्स द्वादशी पर निराहार व्रत रखने का विधान है। इसमें महिलाएं घर-आंगन लीप कर चौक पूरती हैं और उसी चौक में गाय खड़ी करके चंदन अक्षत, धूप, दीप और नैवैद्य आदि से विधिवत पूजा की जाती है। ध्यान रहे, पूजा में धान या चावल का इस्तेमाल गलती से भी न करें। पूजन के लिए आप काकून के चावल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस दिन खाने में चने की दाल जरूर बनती है। 
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व्रत करने वाली महिलाएं गोवत्स द्वादशी के दिन गेहूं, चावल आदि जैसे अनाज नहीं खा सकती साथ में उनका दूध या दूध से बनी चीजें खाना भी वर्जित होता है।
गोवत्स द्वादशी पर गाय के दूध से बना सामान क्यों नहीं खाते ? (VIDEO)

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